बहकावे में न आये। अपना दिमाग लगाये।
Author
Dr. Vivek AryaDate
11-Dec-2017Category
लेखLanguage
HindiTotal Views
818Total Comments
0Uploader
RajeevUpload Date
11-Dec-2017Download PDF
-0 MBTop Articles in this Category
- फलित जयोतिष पाखंड मातर हैं
- राषटरवादी महरषि दयाननद सरसवती
- राम मंदिर à¤à¥‚मि पूजन में धरà¥à¤®à¤¨à¤¿à¤°à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤·à¤¤à¤¾ कहाठगयी? à¤à¤• लंबी सियासी और अदालती लड़ाई के बाद 5 अगसà¥à¤¤ को पà¥
- सनत गरू रविदास और आरय समाज
- बलातकार कैसे रकेंगे
बहकावे में न आये। अपना दिमाग लगाये।
à¤à¤• पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ कहानी आज सà¥à¤®à¤°à¤£ हो आई। à¤à¤• पंडित को à¤à¤• गौ दान में मिली। वह गौ लेकर अपने घर को चल दिया। रासà¥à¤¤à¥‡ में चार चोरों ने उस पंडित से वह गौ छीनने की योजना बनाई। चारों अलग अलग कà¥à¤› दूरी पर छिप गà¤à¥¤ पहला चोर गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ का वेश बनाकर पंडित जी से नमसà¥à¤¤à¥‡ करते हà¥à¤ बोला पंडित जी “यह बकरी किधर लेकर जा रहे हो”। पंडित जी ने मन में सोचा। कैसा मà¥à¤°à¥à¤– वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ है। à¤à¤• गौ और बकरी में अंतर करना à¤à¥€ नहीं जानता। पंडित जी नमसà¥à¤¤à¥‡ का उतà¥à¤¤à¤° देकर बिना कà¥à¤› पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ दिठआगे चल दिà¤à¥¤ आगे दूसरा चोर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मिला और वह à¤à¥€ पहले के समान पंडित जी से बोला “यह बकरी किधर लेकर जा रहे हो”। पंडित जी ने मन में सोचा। पहले वाला à¤à¥€ गौ को बकरी कह रहा था। यह à¤à¥€ गौ को बकरी कह रहा है। दोनों मिलकर मà¥à¤à¥‡ मà¥à¤°à¥à¤– बनाने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ कर रहे है। मैं इनके बहकावे में नहीं आने वाला। आगे अगला तीसरा चोर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मिला और वह à¤à¥€ पहले के समान पंडित जी से बोला “यह बकरी किधर लेकर जा रहे हो”। पंडित जी ने मन में सोचा। अब तो मà¥à¤à¥‡ à¤à¥€ यह लगने लगा है कि यह गौ नहीं बकरी है। मगर मैं अà¤à¥€ इसकी बात पर विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ नहीं करूà¤à¤—ा। अगर आगे कोई इस पशॠको बकरी कहेगा तो मैं मान लूंगा। आगे अंतिम चोर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ मिला और वह à¤à¥€ पहले के समान पंडित जी से बोला “यह बकरी किधर लेकर जा रहे हो”। पंडित जी से रहा न गया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने उदास मन से यह निरà¥à¤£à¤¯ लिया की आज उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ ठगा गया है। गौ कहकर बकरी दान दे दी गई है। पंडित जी ने à¤à¥à¤°à¤® के चलते उस गौ को बकरी समà¤à¤•à¤° वही तà¥à¤¯à¤¾à¤— दिया और खाली हाथ आगे चल दिà¤à¥¤ अंतिम चोर गौ को लेकर अपने मितà¥à¤°à¥‹à¤‚ से जा मिला और खूब जोर से सब पंडित की मूरà¥à¤–ता पर खूब हà¤à¤¸à¥‡à¥¤
मितà¥à¤°à¥‹à¤‚ यह खेल हिनà¥à¤¦à¥‚ समाज के साथ 1947 के बाद से आज à¤à¥€ निरंतर खेला जा रहा है। 1200 वरà¥à¤· के इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥‹à¤‚, मà¥à¥šà¤²à¥‹à¤‚ और अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥‹à¤‚ के अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥€ राज के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ देश के दो टà¥à¤•à¥œà¥‡ कर हमें आज़ादी मिली। उसके बार à¤à¥€ हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं को अपना शासन नहीं मिला। सेकà¥à¤²à¤°à¤¤à¤¾ के नाम पर अलà¥à¤ªà¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤• मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¨ दिया गया। हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं को हिनà¥à¤¦à¥‚ कोड बिल में बांध दिया गया और मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को दरà¥à¤œà¤¨ बचà¥à¤šà¥‡ करने की खà¥à¤²à¥€ छूट दी गई। 100 करोड़ हिनà¥à¤¦à¥à¤“ं के लिठसरकार दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ राम-मंदिर बनाना सà¥à¤²à¤ नहीं है मगर हज हाउस बनाना सà¥à¤²à¤ किया गया। लव जिहाद को सेकà¥à¤²à¤°à¤¤à¤¾ का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• बताया गया। संविधान à¤à¤¸à¤¾ बनाया गया कि हर गैर हिनà¥à¤¦à¥‚ अपने मत का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° करे तो किसी को कोई दिकà¥à¤•à¤¤ नहीं मगर हिनà¥à¤¦à¥‚ समाज रकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• रूप से अपनी मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ का पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° करे तो उसे अलà¥à¤ªà¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤•à¥‹à¤‚ के अधिकारों का दमन बताया गया। गौरकà¥à¤·à¤¾ करना गà¥à¤£à¥à¤¡à¤ˆ और गाय की कà¥à¤°à¥à¤¬à¤¾à¤¨à¥€ मज़हबी आसà¥à¤¥à¤¾ बताया गया। हमारे धरà¥à¤®à¤—à¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ वेद और धरà¥à¤®à¤¶à¤¾à¤¸à¥à¤¤à¥à¤° पिछड़े बताये गठजबकि सेमेटिक मतों के गà¥à¤°à¤‚थों को वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• और आधà¥à¤¨à¤¿à¤• बताया गया। रामायण और महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ को मिथक और विदेशियों के गà¥à¤°à¤‚थों को सतà¥à¤¯ बताया गया। हमारे पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ के महान और पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾à¤¦à¤¾à¤¯à¤• इतिहास को à¤à¥à¤²à¤¾ दिया गया और अकबर महान, गौरी महान और ग़जनी महान बताया गया। विदेशी सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾, विदेशी पहनावा,विदेशी सोच, विदेशी खान-पान, विदेशी आचार-विचार को सà¤à¥à¤¯ और सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶à¥€ चिंतन, सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶à¥€ खान-पान, सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶à¥€ पहनावा आदि को असà¤à¥à¤¯ दिखाया गया। चोटी-जनेऊ और तिलक को पिछड़ा हà¥à¤† जबकि टोपी और कà¥à¤°à¥‰à¤¸ पहनने को सà¤à¥à¤¯ दिखाया गया। संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾ को मृत और हिंदी को गवारों की à¤à¤¾à¤·à¤¾ बताया गया जबकि अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ को सà¤à¥à¤¯ समाज की à¤à¤¾à¤·à¤¾ बताया गया। हवन-यजà¥à¤ž से लेकर मृतक के दाह संसà¥à¤•à¤¾à¤° को पà¥à¤°à¤¦à¥à¤·à¤£ और जमीन में गाड़ने को वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• बताया गया। आयà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦ को जादू-टोना बताया गया जबकि ईसाईयों की पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ से चंगाई और मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® पीरों की कबà¥à¤° पूजने को चमतà¥à¤•à¤¾à¤° बताया गया।
à¤à¥‚ठपर à¤à¥‚ठ, à¤à¥‚ठपर à¤à¥‚ठइतने बोले गठकि हिनà¥à¤¦à¥‚ समाज की पिछले 70 सालों में पैदा हà¥à¤ˆ पीà¥à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ असतà¥à¤¯ कथनों को सतà¥à¤¯ मानने लग गई। अपने आपको हिनà¥à¤¦à¥‚/आरà¥à¤¯ कहने से हिचकने लगी जबकि नासà¥à¤¤à¤¿à¤•/सेकà¥à¤¯à¥à¤²à¤° या सामà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦à¥€ कहने में गौरव महसूस करने लगी। किसी ने सतà¥à¤¯ कहा है कि à¤à¥‚ठको अगर हज़ार बार चिलà¥à¤²à¤¾à¤¯à¥‡ तो वह सतà¥à¤¯ लगने लगता हैं।
जैसे उस अपरिपकà¥à¤µ पंडित को चोरों ने बहका दिया था। ठीक वैसे ही हम à¤à¥€ बहक गठहै। आज आप निशà¥à¤šà¤¯ कीजिये कि कà¥à¤¯à¤¾ आप आज à¤à¥€ बहके रहना चाहते है अथवा सतà¥à¤¯ को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करना चाहते हैं। निरà¥à¤£à¤¯ आपका है।
(राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¹à¤¿à¤¤ में जारी)
डॉ विवेक आरà¥à¤¯
ALL COMMENTS (0)