वनà¥à¤¦à¥‡ मातरम गीत और बंकिम चंदà¥à¤° चटरà¥à¤œà¥€
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Dr. Vivek AryaDate
29-Jun-2018Category
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हमारे देश के कà¥à¤› मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® à¤à¤¾à¤ˆ बहकावे में आकर वनà¥à¤¦à¥‡ मातरम गान का बहिषà¥à¤•à¤¾à¤° कर देते हैं। उनका कहना है कि वनà¥à¤¦à¥‡ मातरम का गान करना इसà¥à¤²à¤¾à¤® की मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं के खिलाफ है। दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में शायद à¤à¤¾à¤°à¤¤ ही à¤à¤¸à¤¾ पहला देश होगा जिसमें राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ गीत और राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ गान अलग अलग हैं। हमारे देश का यह दà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ है कि अलà¥à¤ªà¤¸à¤‚खà¥à¤¯à¤•à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¨ देने के नाम पर, तà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¤°à¤£ के नाम पर राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤—ीत के अपमान को कà¥à¤› लोग आंख बंदकर सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कर लेते है।
à¤à¤¾à¤°à¤¤ जैसे विशाल देश को हजारों वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ की गà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ के बाद आजादी के दरà¥à¤¶à¤¨ हà¥à¤ थे। वनà¥à¤¦à¥‡ मातरम वह गीत है, जिससे सदियों से सà¥à¤ªà¥à¤¤ à¤à¤¾à¤°à¤¤ देश जग उठा और अरà¥à¤§ शताबà¥à¤¦à¥€ तक à¤à¤¾à¤°à¤¤ के सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ संगà¥à¤°à¤¾à¤® का पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤• बना रहा। इस गीत के कारण बंग-à¤à¤‚ग के विरोध की लहर बंगाल की खाड़ी से उठकर इंगà¥à¤²à¤¿à¤¶ चैनल को पार करती हà¥à¤ˆ बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ संसद तक गूंजा आई थी। जो गीत गंगा की तरह पवितà¥à¤° , सà¥à¤«à¤Ÿà¤¿à¤• की तरह निरà¥à¤®à¤² और देवी की तरह पà¥à¤°à¤£à¤®à¥à¤¯ है। उस गीत का तà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¤°à¤£ की à¤à¥‡à¤‚ट चà¥à¤¾à¤¨à¤¾, राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯à¤¤à¤¾ का परिहास ही तो है। जबकि इतिहास इस बात का गवाह है कि à¤à¤¾à¤°à¤¤ का विà¤à¤¾à¤œà¤¨ इसी तà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¤°à¤£ के कारण हà¥à¤† था। इस लेख के माधà¥à¤¯à¤® से हम वनà¥à¤¦à¥‡ मातरम के इतिहास को समà¤à¤¨à¥‡ का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करेगे।
1. वनà¥à¤¦à¥‡ मातरम के रचियता बंकिम चनà¥à¤¦à¥à¤°
बहà¥à¤¤ कम लोग यह जानते हैं की वनà¥à¤¦à¥‡ मातरम के रचियता बंकिम बाबॠका परिवार अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ à¤à¤—त था। यहाठतक की उनके पैतृक गृह के आगे à¤à¤• सिंह की मूरà¥à¤¤à¤¿ बनी हà¥à¤ˆ थी। जिसकी पूà¤à¤› को दो बनà¥à¤¦à¤° खिंच रहे थे, पर कà¥à¤› à¤à¥€ नहीं कर पा रहे थे। यह सिंह बà¥à¤°à¤¿à¤Ÿà¤¿à¤¶ सामà¥à¤°à¤¾à¤œà¥à¤¯ का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• था। जबकि बनà¥à¤¦à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤à¤µà¤¾à¤¸à¥€ थे। à¤à¤¸à¥€ मानसिकता वाले घर में बंकिम जैसे राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤à¤•à¥à¤¤ का पैदा होना। निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ रूप से उस समय की कà¥à¤°à¤¾à¤‚तिकारी विचारधारा का पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ कहा जायेगा। आनंद मठमें बंकिम बाबॠने वनà¥à¤¦à¥‡à¤®à¤¾à¤¤à¤°à¤® गीत को पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ किया। आनंद मठबंगाल में नई कà¥à¤°à¤¾à¤‚ति के सूतà¥à¤°à¤ªà¤¾à¤¤ के रूप में उà¤à¤°à¤¾ था।
2. वनà¥à¤¦à¥‡ मातरम और कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸
कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ के दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ वरà¥à¤· 1886 में ही कोलकाता अधिवेशन के मंच से कविवर हेमचनà¥à¤¦à¥à¤° दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ वनà¥à¤¦à¥‡ मातरम के कà¥à¤› अंश मंच से गाये गठथे। 1896 में कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ के 12वें अधिवेशन में रविनà¥à¤¦à¥à¤° नाथ टैगोर दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ गाया गया था। लोकमानà¥à¤¯ तिलक को वनà¥à¤¦à¥‡ मातरम में इतनी शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ थी कि शिवाजी की समाधी के तोरण पर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने इसे उतà¥à¤•à¥€à¤°à¥à¤£ करवाया था। 1901 के बाद से कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ के पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• अधिवेशन में वनà¥à¤¦à¥‡ मातरम गाया जाने लगा।
6 अगसà¥à¤¤ 1905 को बंग à¤à¤‚ग के विरोध में टाउन हॉल में सà¤à¤¾ हà¥à¤ˆà¥¤ सà¤à¤¾ में वनà¥à¤¦à¥‡ मातरम को विरोध के रूप में करीब तीस हज़ार à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ गाया गया था। सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर विदेशी वसà¥à¤¤à¥à¤“ं का बहिषà¥à¤•à¤¾à¤° किया गया और सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶à¥€ कपड़ा और अनà¥à¤¯ वसà¥à¤¤à¥à¤“ं का उपयोग à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ जनमानस दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ किया जाने लगा।यहाठतक की बंग à¤à¤‚ग के बाद वनà¥à¤¦à¥‡ मातरम संपà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ à¤à¥€ हो गई थी। वनà¥à¤¦à¥‡ मातरम की सà¥à¤µà¤°à¤²à¤¿à¤ªà¤¿ रविनà¥à¤¦à¥à¤° नाथ टैगोर जी ने दी थी।
3. राषà¥à¤Ÿà¥à¤° कवि/लेखक और वनà¥à¤¦à¥‡ मातरम
राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ कवियों और लेखकों दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अनेक रचनाà¤à¤ वनà¥à¤¦à¥‡ मातरम को पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤¦ करने के लिठरची गई जो उसके महतà¥à¤µ की सिदà¥à¤§ करती हैं।
सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶à¥€ आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ चाई आतà¥à¤®à¤¦à¤¾à¤¨
वनà¥à¤¦à¥‡ मातरम गाओ रे à¤à¤¾à¤ˆ – शà¥à¤°à¥€ सतीश चनà¥à¤¦à¥à¤°
मागो जाय जेन जीवन चले
शà¥à¤§à¥ जगत माà¤à¥‡ तोमार काजे
वनà¥à¤¦à¥‡ मातरम बले- शà¥à¤°à¥€ कालि पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ कावà¥à¤¯ विशारद
à¤à¤‡à¤¯à¤¾ देश का यह कà¥à¤¯à¤¾ हाल
खाक मिटटी जौहर होती सब
जौहर हैं जंजाल बोलो वनà¥à¤¦à¥‡ मातरम-शà¥à¤°à¥€ कालि पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ कावà¥à¤¯ विशारद
अकà¥à¤Ÿà¥‚बर 1905 में ‘वसà¥à¤§à¤¾’ में जितेंदर मोहम बनरà¥à¤œà¥€ ने वनà¥à¤¦à¥‡ मातरम पर लेख लिखा था।
1906 के चैतà¥à¤° मास के बमà¥à¤¬à¤ˆ के ‘बिहारी अखबार’ में वीर सावरकर ने वनà¥à¤¦à¥‡ मातरम पर लेख लिखा था।
22 अपà¥à¤°à¥ˆà¤² को मराठा में ‘तिलक महोदय’ ने वनà¥à¤¦à¥‡ मातरम पर ‘शोउटिंग ऑफ़ वनà¥à¤¦à¥‡ मातरम’ के नाम से लेख लिखा था।
कà¥à¤› ईसाई लेखक वनà¥à¤¦à¥‡ मातरम की पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§à¤¿ से जलà¤à¥‚न कर उसके विरà¥à¤¦à¥à¤§ अपनी लेखनी चलाते हैं जैसे
पिअरसन महोदय ने तो यहाठतक लिख दिया कि मातृà¤à¥‚मि की कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ ही हिनà¥à¤¦à¥‚ विचारधारा के पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥‚ल है। बंकिम महोदय ने इसे यूरोपियन संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ किया है।
अपनी जनà¥à¤® à¤à¥‚मि को माता या जननी कहने की गरिमा तो à¤à¤¾à¤°à¤¤ वरà¥à¤· में उस काल से सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ है। जब धरती पर ईसाइयत या इसà¥à¤²à¤¾à¤® का जनà¥à¤® à¤à¥€ नहीं हà¥à¤† था।
वेदों में इस तथà¥à¤¯ को इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° गà¥à¤°à¤¹à¤£ किया गया हैं –
वह माता à¤à¥‚मि मà¥à¤ पà¥à¤¤à¥à¤° के लिठपय यानि दूध आदि पà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ पà¥à¤°à¤¦ पदारà¥à¤¥ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करे। – अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ १२/१/२०
à¤à¥‚मि मेरी माता है और मैं उसका पà¥à¤¤à¥à¤° हूà¤à¥¤ – अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ १२-१-१५
वालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ रामायण में “जननी जनà¥à¤®à¤à¥‚मि ” को सà¥à¤µà¤°à¥à¤— के समान तà¥à¤²à¥à¤¯ कहा गया है।
ईसाई मिशनरियों ने तो यहाठतक कह डाला कि वनà¥à¤¦à¥‡ मातरम राजनैतिक डकैतों का गीत हैं।
4. वनà¥à¤¦à¥‡ मातरम और बंगाल में कहर
बंगाल की अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ सरकार ने कà¥à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¤ सरà¥à¤•à¥à¤²à¤° जारी किया कि अगर कोई छातà¥à¤° सà¥à¤µà¤¦à¥‡à¤¶à¥€ सà¤à¤¾ में à¤à¤¾à¤— लेगा अथवा वनà¥à¤¦à¥‡ मातरम का नारा लगाà¤à¤—ा। तो उसे सà¥à¤•à¥‚ल से निकाल दिया जायेगा।
बंगाल के रंगपà¥à¤° के à¤à¤• सà¥à¤•à¥‚ल के सà¤à¥€ 200 छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ पर वनà¥à¤¦à¥‡ मातरम का नारा लगाने के लिठ5-5 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ का दंड किया गया था।
पूरे बंगाल में वनà¥à¤¦à¥‡ मातरम के नाम की कà¥à¤°à¤¾à¤‚ति सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ हो गई थी। इस संसà¥à¤¥à¤¾ से जà¥à¥œà¥‡ लोग हर रविवार को वनà¥à¤¦à¥‡ मातरम गाते हà¥à¤ चनà¥à¤¦à¤¾ à¤à¤•à¤¤à¥à¤° करते थे। उनके साथ रविनà¥à¤¦à¥à¤° नाथ टैगोर à¤à¥€ होते थे। यह जà¥à¤²à¥à¤¸ इतना बड़ा हो गया कि इसकी संखà¥à¤¯à¤¾ हजारों तक पहà¥à¤à¤š गई थी। 16 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर 1906 को बंग à¤à¤‚ग विरोध दिवस बनाने का फैसला किया गया था। उस दिन कोई à¤à¥€ बंगाली अनà¥à¤¨-जल गà¥à¤°à¤¹à¤£ नहीं करेगा। à¤à¤¸à¤¾ निशà¥à¤šà¤¯ किया गया। बंग à¤à¤‚ग के विरोध में सà¤à¤¾ हà¥à¤ˆ और यह निशà¥à¤šà¤¯ किया गया की जब तक चूà¤à¤•à¤¿ सरकार बंगाल की à¤à¤•à¤¤à¤¾ को तोड़ने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ कर रही है। इसके विरोध में हर बंगाली विदेशी सामान का बहिषà¥à¤•à¤¾à¤° करेगा। हर किसी की जबान पर वनà¥à¤¦à¥‡ मातरम का नारा था। चाहे वह हिनà¥à¤¦à¥‚ हो, चाहे मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® हो, चाहे ईसाई हो।
वनà¥à¤¦à¥‡ मातरम से आम जनता को कितना पà¥à¤°à¥‡à¤® हो गया था। इसका उदहारण हम इस पà¥à¤°à¤¸à¤‚ग से समठसकते है। किसी गाà¤à¤µ में, जो ढाका जिले के अंतरà¥à¤—त था, à¤à¤• आदमी गया और कहने लगा कि मैं नवाब सलीमà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¹ का आदमी हूà¤à¥¤ इसके बाद वनà¥à¤¦à¥‡ मातरम गाने वाले और नारे लगाने वालो की निंदा करने लगा। इतना सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ ही पास की à¤à¤• à¤à¥‹à¤ªà¥œà¥€ से à¤à¤• बà¥à¥à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¤¾à¥œà¥‚ लेकर बाहर आई और बोली वनà¥à¤¦à¥‡ मातरम गाने वाले लड़को ने मà¥à¤à¥‡ बचाया हैं। वे सब राजा बेटा है। उस वकà¥à¤¤ तेरा नवाब कहाठथा?
5. फूलर के असफल पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸
फूलर उस समय बंगाल का गवरà¥à¤¨à¤° बना। वह अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ छोटी सोच वाला वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ था। उसने कहा कि मेरी दो बीवी हैं। à¤à¤• हिनà¥à¤¦à¥‚ और दूसरी मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤®à¥¤ मà¥à¤à¥‡ दूसरी जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ पà¥à¤°à¤¿à¤¯ है। फà¥à¤²à¤° का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ हिनà¥à¤¦à¥‚-मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® à¤à¤•à¤¤à¤¾ को तोड़ना था। फà¥à¤²à¤° के इस घटिया बयान के विपकà¥à¤· में कà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿à¤•à¤¾à¤°à¥€ और कवि अशà¥à¤µà¤¨à¥€ कà¥à¤®à¤¾à¤° दत ने अपनी कविता में लिखा-
“आओ हे à¤à¤¾à¤°à¤¤à¤µà¤¾à¤¸à¥€! आओ, हम सब मिलकर à¤à¤¾à¤°à¤¤ माता के चरणों में पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤® करें। आओ! मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨ à¤à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚, आज जाती-पाती का à¤à¤—ड़ा नहीं है। इस कारà¥à¤¯ में हम सब à¤à¤¾à¤ˆ à¤à¤¾à¤ˆ है।इस धà¥à¤² में तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¥‡ अकबर है और हमारे राम है।”
फूलर ने बंगाल के मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® जमींदारों को à¤à¥œà¤•à¤¾ कर दंगा करवाने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया पर उसके पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ सफल न हà¥à¤à¥¤
अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ सरकार के मन में वनà¥à¤¦à¥‡ मातरम को लेकर कितना असंतोष था कि उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सà¤à¥€ विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¾à¤“ं को सरकारी आदेश जारी किया। सà¤à¥€ छातà¥à¤° अपनी अपनी नोटबà¥à¤• में 500 बार यह लिखे कि “वनà¥à¤¦à¥‡ मातरम चिलà¥à¤²à¤¾à¤¨à¥‡ में अपना समय नषà¥à¤Ÿ करना मà¥à¤°à¥à¤–ता और अà¤à¤¦à¥à¤°à¤¤à¤¾ हैं। ”
6. वारिसाल में कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ का अधिवेशन और वनà¥à¤¦à¥‡ मातरम
14 अपà¥à¤°à¥ˆà¤² 1906 के दिन वारिसाल में कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸ के जà¥à¤²à¥à¤¸ में वनà¥à¤¦à¥‡ मातरम का नारा लगाने पर पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤¨à¥à¤§ लगा दिया गया। शांतिपूरà¥à¤µà¤• निकल रहे जà¥à¤²à¥à¤¸ पर पà¥à¤²<
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