पाप करà¥à¤® के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– कारण
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Naveen AryaDate
17-Sep-2018Category
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RajeevUpload Date
17-Sep-2018Download PDF
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मनà¥à¤·à¥à¤¯ अपने जीवन में अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को करते रहता है परनà¥à¤¤à¥ उन समसà¥à¤¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को ऋषियों ने सबसे पहले दो à¤à¤¾à¤—ों में बाà¤à¤Ÿ दिया है à¤à¤• है सकाम करà¥à¤® और दूसरा है निषà¥à¤•à¤¾à¤® करà¥à¤® । निषà¥à¤•à¤¾à¤® करà¥à¤® केवल योगी लोग ही कर सकते हैं जिसमें कि समसà¥à¤¤ लौकिक फलों की कामना से रहित होकर करà¥à¤® करना होता है । योगियों को छोड़कर अनà¥à¤¯ समसà¥à¤¤ लोग तीन à¤à¤·à¤£à¤¾à¤“ं से यà¥à¤•à¥à¤¤ होकर ही सब करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को करते हैं, सांसारिक वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ बिना लौकिक कामनाओं के कोई à¤à¥€ कारà¥à¤¯ नहीं करता अतः निषà¥à¤•à¤¾à¤® करà¥à¤® सामानà¥à¤¯ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ करने योगà¥à¤¯ नहीं होता है और सकाम करà¥à¤® तीन पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के विà¤à¤¾à¤—ों में विà¤à¤•à¥à¤¤ कर दिया है जिसको कि पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ करता है, à¤à¤• शà¥à¤ करà¥à¤®, दूसरा अशà¥à¤ करà¥à¤® और तीसरा मिशà¥à¤°à¤¿à¤¤ करà¥à¤® ।
मनà¥à¤·à¥à¤¯ बहà¥à¤¤ सारे करà¥à¤® बिना सोचे समà¤à¥‡ वैसे ही करते जाता है, उसमें पà¥à¤£à¥à¤¯ हो रहा है या फिर पाप, मैं शà¥à¤ कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को कर रहा हूठया फिर अशà¥à¤ बिना निरà¥à¤£à¤¯ किये, बिना उसके परिणाम को जाने-समà¤à¥‡ अनायास ही करते जाता है । हम कोई à¤à¥€ करà¥à¤® करें सबसे पहले विचार अवशà¥à¤¯ करना ही चाहिये कि कैसा करà¥à¤® मैं कर रहा हूà¤, इसके परिणाम कैसे होंगे, उसके पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ कैसे होंगे, उसके फल कैसे पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होंगे आदि, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मनà¥à¤·à¥à¤¯ उसको कहा जाता है जो विचार करके, चिंतन-मनन करके ही समसà¥à¤¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को करता है । करà¥à¤® करने से पहले, करà¥à¤® करने के समय में और करà¥à¤® करने के बाद यह अवशà¥à¤¯ देखना चाहिये, निरिकà¥à¤·à¤£ करना चाहिठकि करà¥à¤® किस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के हैं ? उसके परिणाम वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त कैसे होंगे, सामाजिक परिणाम किस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° होगा, यह सब कà¥à¤› जो वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ विचार करके ही करता है तो उसके सब करà¥à¤® अचà¥à¤›à¥‡ ही होते हैं । जो वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° विचार नहीं करता वह अवशà¥à¤¯ पà¥à¤£à¥à¤¯ के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर पाप कर बैठेगा ।
वासà¥à¤¤à¤µ में देखा जाये तो पाप करà¥à¤® के मà¥à¤–à¥à¤¯ कारण अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ या अविदà¥à¤¯à¤¾ ही है, परनà¥à¤¤à¥ वेदों में इन पाप करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के कारणों का कà¥à¤› और ही रूप में उलà¥à¤²à¥‡à¤– किया गया है । ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ में पाप करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के पांच कारण गिनाये गठहैं, जैसे कि नियति, सà¥à¤°à¤¾, कà¥à¤°à¥‹à¤§, दà¥à¤¯à¥à¤¤, और अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥¤ इन सब बिनà¥à¤¦à¥à¤“ं के ऊपर कà¥à¤› विचार करते हैं ।
नियति - नियति का अरà¥à¤¥ होता है पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤¬à¥à¤§ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ पूरà¥à¤µ जनà¥à¤® में हमने जो कà¥à¤› à¤à¥€ पूणà¥à¤¯ या पाप करà¥à¤® किये होते हैं उन करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के आधार पर ही ईशà¥à¤µà¤° हमारे वरà¥à¤¤à¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ जनà¥à¤® में फल निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ कर देते हैं जो कि जनà¥à¤® होते ही पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो जाते हैं, उसी को ही पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤¬à¥à¤§ कहा जाता है । इस पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤¬à¥à¤§ से हमारे उस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के कà¥à¤› संसà¥à¤•à¤¾à¤° à¤à¥€ बन जाते हैं और उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ से हम पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ होकर पà¥à¤¨à¤ƒ पà¥à¤¨à¤ƒ उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को करते जाते हैं । यदि पाप करà¥à¤® के संसà¥à¤•à¤¾à¤° हैं तो पाप करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ हम बार-बार पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ होकर पाप ही करते जाते हैं ।
सà¥à¤°à¤¾ - सà¥à¤°à¤¾ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ मदिरा अथवा शराब । इससे हमारी बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ à¤à¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿ हो जाती है और निरà¥à¤£à¤¯ करने की कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ à¤à¥€ नषà¥à¤Ÿ हो जाती है फिर पाप या पà¥à¤£à¥à¤¯ का विचार किये बिना ही हम पाप करà¥à¤®à¥‹à¤‚ में पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤ हो जाते हैं ।
कà¥à¤°à¥‹à¤§ - इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° कà¥à¤°à¥‹à¤§ से à¤à¥€ हमारी बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ विकृत हो जाती है । सही-गलत का निरà¥à¤£à¤¯ किये बिना ही गलत कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को करते जाते हैं । योग दरà¥à¤¶à¤¨ में à¤à¥€ कहा गया है कि हम हिंसा लोठपूरà¥à¤µà¤•, मोह पूरà¥à¤µà¤• और कà¥à¤°à¥‹à¤§ पूरà¥à¤µà¤• करते हैं । कà¥à¤°à¥‹à¤§ में आकर हम अधिकतर दूसरों की हानि ही करते हैं और पाप अरà¥à¤œà¤¿à¤¤ करते जाते हैं ।
दà¥à¤¯à¥à¤¤ - दà¥à¤¯à¥à¤¤ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ जà¥à¤† खेलना जो कि सरà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¶ का कारन है । इसका पà¥à¤°à¤®à¥à¤– उदहारण हम महाà¤à¤¾à¤°à¤¤ में देख सकते हैं । जà¥à¤† में जब वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ हार जाता है तो वह फिर किसी à¤à¥€ रूप में धन पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करना चाहता है चाहे उसको चोरी करनी पड़े, इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ पाप अरà¥à¤œà¤¿à¤¤ कर लेता है ।
अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ - समसà¥à¤¤ पाप करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤®à¥à¤– कारण तो यही अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¤à¤¾ या अविदà¥à¤¯à¤¾ ही है । वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ इसी अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¤à¤¾ के कारण सà¤à¥€ पाप करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ अचà¥à¤›à¤¾ या पà¥à¤£à¥à¤¯ करà¥à¤® मान लेता है और पाप करà¥à¤®à¥‹à¤‚ में डूबा रहता है जिसके फल सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª उसको अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के दà¥à¤ƒà¤– पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होते रहते हैं और उसकी सà¥à¤µà¤¯à¤‚ की तथा अनà¥à¤¯ लोगों की à¤à¥€ हानि होती रहती है ।
जब हम इन कारणों को जान लेते हैं और इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ कारणों को दूर कर लेते हैं तो फिर पाप करà¥à¤®à¥‹à¤‚ से और उनके फल रूप दà¥à¤ƒà¤– से à¤à¥€ बाख जाते हैं कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि कारण के नषà¥à¤Ÿ होने से कारà¥à¤¯ à¤à¥€ नषà¥à¤Ÿ हो जाता है । इसी नियम को अचà¥à¤›à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° समठकर हमें सदा यह पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ करते रहना चाहिठकि इनमें से कोई à¤à¥€ कारण हमारे जीवन में विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ ही न हों तो फिर हमारे जीवन में पाप करà¥à¤® ही नहीं होंगे और यदि पाप करà¥à¤® ही हम नहीं करेंगे तो सदा दà¥à¤ƒà¤– से रहित सà¥à¤– से ही यà¥à¤•à¥à¤¤ रहेंगे । अतः सदा सà¥à¤–ी रहने का यही उपाय है ।
लेख - आचारà¥à¤¯ नवीन केवली
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