वेदों की अनमोल देन सब सà¥à¤–ों का आधार अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤° यजà¥à¤žâ€
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Manmohan Kumar AryaDate
15-Nov-2018Category
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15-Nov-2018Download PDF
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वैदिक मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन चार आशà¥à¤°à¤®à¥‹à¤‚ में विà¤à¤¾à¤œà¤¿à¤¤ है। ये आशà¥à¤°à¤® हैं बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤šà¤°à¥à¤¯, गृहसà¥à¤¥, वानपà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥ और संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥¤ à¤à¤• अरब छियानवें करोड़ से अधिक वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ के वैदिक यà¥à¤— में 8 से 12 वरà¥à¤· तक की आयॠके बचà¥à¤šà¥‡ गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² में अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ हेतॠजाते थे। इससे पूरà¥à¤µ का उनका समय माता-पिता के पास ही बीतता था। वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में तो गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤²à¥€à¤¯ शिकà¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ समापà¥à¤¤ ही है। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के कà¥à¤› गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² देश में चल रहे हैं जहां अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨-अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¨ की आवासीय वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ है। वानपà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥ à¤à¤µà¤‚ सनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ आशà¥à¤°à¤® à¤à¥€ समापà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ हैं। अतः सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ अपना पूरा जीवन पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ घरों में ही वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ करते हैं। हर मनà¥à¤·à¥à¤¯ à¤à¥‹à¤œà¤¨ करता है जिससे मल-मूतà¥à¤° बनता है। इससे वायॠमें दà¥à¤°à¥à¤—नà¥à¤§ वा पà¥à¤°à¤¦à¥à¤·à¤£ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होता है। à¤à¥‹à¤œà¤¨ की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को होती है जिसके लिये चूलà¥à¤¹à¤¾ जलाया जाता है जो कि वायॠमें आकà¥à¤¸à¥€à¤œà¤¨ को कम तथा हानिकारक कारà¥à¤¬à¤¨à¤¡à¤¾à¤ˆ-आकà¥à¤¸à¤¾à¤‡à¤¡ की मातà¥à¤°à¤¾ को बà¥à¤¾à¤¤à¤¾ है। इसके अतिरिकà¥à¤¤ हमें अपने वसà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ सà¥à¤µà¤šà¥à¤› करने हेतॠजल का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— करना होता है। इन सब कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से ंवायॠव जल पà¥à¤°à¤¦à¥à¤·à¤£ पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· रूप से होता है। हम हर कà¥à¤·à¤£ शà¥à¤µà¤¾à¤¸-पà¥à¤°à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ लेते व छोड़ते हैं। इससे à¤à¥€ घर के वातावरण की वायॠमें आकà¥à¤¸à¥€à¤œà¤¨ में कमी व कारà¥à¤¬à¤¨-डाइ-आकà¥à¤¸à¤¾à¤‡à¤¡ गैस की मातà¥à¤°à¤¾ में वृदà¥à¤§à¤¿ होती है। सà¥à¤¨à¤¾à¤¨ करने पर à¤à¥€ हम सà¥à¤µà¤šà¥à¤› जल को पà¥à¤°à¤¦à¥à¤·à¤¿à¤¤ करते हैं। इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से हम अपने घरों में à¤à¥€ वायॠव जल का पà¥à¤°à¤¦à¥à¤·à¤£ करते हैं। पà¥à¤°à¤¦à¥à¤·à¤£ हमारे जीवन व सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ के लिये हानिकारक होता है। अतः हमारा करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ हैं कि हमारे निमितà¥à¤¤ से जो पà¥à¤°à¤¦à¥à¤·à¤£ होता है उतना व उससे कà¥à¤› अधिक हम वायॠव जल की शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ का कारà¥à¤¯ करें। इस पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ को समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ करने का नाम ही अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤°-यजà¥à¤ž है। इसकी आजà¥à¤žà¤¾ व विधान सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आदि गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ वेदों में हैं। वेद के मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ व उनकी शिकà¥à¤·à¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° ही हम यजà¥à¤ž समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ करते हैं जिससे पà¥à¤°à¤¦à¥à¤·à¤£ दूर व कम होकर हम रोगों से बचते हैं और सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ रहते हैं। हमारे इस कारà¥à¤¯ से अनà¥à¤¯ लोग à¤à¥€ लाà¤à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¿à¤¤ होते हैं।
यजà¥à¤ž में हम हवन-कà¥à¤£à¥à¤¡ या यजà¥à¤žà¤¶à¤¾à¤²à¤¾ में अगà¥à¤¨à¤¿ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करने के लिये आम आदि की समिधाओं का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— करते हैं। यजà¥à¤ž का गà¥à¤–à¥à¤¯ दà¥à¤°à¤µà¥à¤¯ गोघृत है। गोघृत के अतिरिकà¥à¤¤ कà¥à¤› अनà¥à¤¯ सà¥à¤—नà¥à¤§à¤¿à¤¤ पदारà¥à¤¥, मिषà¥à¤Ÿ पदारà¥à¤¥à¤‚ में देशी गà¥à¥œ से बनी शकà¥à¤•à¤°, कà¥à¤› लाà¤à¤•à¤¾à¤°à¥€ वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ व ओषधियां तथा पà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¤¾à¤°à¤• शà¥à¤·à¥à¤• मेवे आदि पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ की अगà¥à¤¨à¤¿ में आहà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ देकर इन पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ को सूकà¥à¤·à¥à¤® बनाकर वायà¥à¤®à¤£à¥à¤¡à¤² में फैलाते हैं। यजà¥à¤ž में जो पदारà¥à¤¥ डाले जाते हैं उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ यजà¥à¤ž करने से पहले शà¥à¤¦à¥à¤§ कर लिया जाता है। इनको अगà¥à¤¨à¤¿ में डालने से यह जलकर à¤à¤¸à¥à¤® हो जाते हैं जिससे इनका पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ लाल मिरà¥à¤š की à¤à¤¾à¤‚ति वातावरण में दूर-दूर तक फैल जाता है। गोघृत पà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¤¾à¤°à¤•, आरोगà¥à¤¯à¤¦à¤¾à¤¯à¤•, बलवरà¥à¤§à¤•, आयà¥à¤µà¤°à¥à¤§à¤•, विषनाशक आदि अनेक गà¥à¤£à¥‹à¤‚ वाला होता है। हम जानते हैं कि सूकà¥à¤·à¥à¤® पदारà¥à¤¥ में अधिक शकà¥à¤¤à¤¿ होती है और सà¥à¤¥à¥‚ल पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ की शकà¥à¤¤à¤¿ कम होती है। अगà¥à¤¨à¤¿ में मिरà¥à¤š डालकर इसका पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· होता है। ऋषि दयाननà¥à¤¦ ने बताया है कि तीवà¥à¤° अगà¥à¤¨à¤¿ में जल कर यह सà¤à¥€ पदारà¥à¤¥ अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ सूकà¥à¤·à¥à¤® व हलà¥à¤•à¥‡ हो जाते हैं। इन सूकà¥à¤·à¥à¤® पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ की à¤à¥‡à¤¦à¤• शकà¥à¤¤à¤¿ बॠजाती है। वायॠमें मिलकर यह अचà¥à¤›à¥‡ परिणाम उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ करते हैं। पहला परिणाम तो पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· अनà¥à¤à¤µ होता है और वह यह है कि दà¥à¤°à¥à¤—नà¥à¤§ का नाश होता है। दà¥à¤°à¥à¤—नà¥à¤§ अनेक रोगों का कारण होता व हो सकता है। इसका अरà¥à¤¥ हà¥à¤† कि अगà¥à¤¨à¤¿ में गोघृत के जलने से वायॠका दà¥à¤°à¥à¤—नà¥à¤§ व अनà¥à¤¯ दोष दूर होकर वायॠओषधीय गà¥à¤£à¥‹à¤‚ से यà¥à¤•à¥à¤¤ होकर सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ के लिठहितकर हो जाती है। à¤à¤¸à¥‡ ही लाठशकà¥à¤•à¤°, शà¥à¤·à¥à¤• मेवां, सोमलता, गिलोय, गà¥à¤—à¥à¤—ल आदि ओषधियों के घृत के साथ जलने से à¤à¥€ होते हैं। अतः यजà¥à¤ž करना वायॠके हानिकारक दोष दूर करने सहित सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ लाठके लिये à¤à¥€ हितकर होता है।
ऋषि दयाननà¥à¤¦ जी ने à¤à¤• वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• बात यह à¤à¥€ लिखी है गृहसà¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के घरों का वायॠआवासों में उपयà¥à¤•à¥à¤¤ वायॠपà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹ के न होने से बाहर नहीं जाता और घर के à¤à¥€à¤¤à¤° ही दूषित होता रहता है। यजà¥à¤ž करने से यजà¥à¤ž के समीप का वायॠगरà¥à¤® होकर हलà¥à¤•à¤¾ हो जाता है और छत की ओर ऊपर को जाता है। यह वायॠयजà¥à¤žà¥€à¤¯ पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ के गà¥à¤£à¥‹à¤‚ से यà¥à¤•à¥à¤¤ à¤à¥€ हो जाता है। इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° ऊपर की à¤à¤¾à¤°à¥€ वायॠनीचे आती है और वह à¤à¥€ यजà¥à¤žà¤¾à¤—à¥à¤¨à¤¿ के समà¥à¤ªà¤°à¥à¤• में आकर हलà¥à¤•à¥€ होकर ऊपर को उठती है। इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° यजà¥à¤ž जारी रहने तक यजà¥à¤ž की अगà¥à¤¨à¤¿ के समà¥à¤ªà¤°à¥à¤• में आने वाली वायॠगरà¥à¤® होकर हलà¥à¤•à¥€ होती जाती है और ऊपर उठती जाती है। ऊपर की हलà¥à¤•à¥€ वायॠखिड़की व रोशनदानों से बाहर निकल जाती है और बाहर की शà¥à¤¦à¥à¤§ वायॠघर के à¤à¥€à¤¤à¤° पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करती है। बाहर की वायॠà¤à¥€ यजà¥à¤ž की अगà¥à¤¨à¤¿ के समà¥à¤ªà¤°à¥à¤• में आकर हलà¥à¤•à¥€ होकर बाहर जाती है और वायà¥à¤®à¤£à¥à¤¡à¤² में फैल कर वायॠव आकाशसà¥à¤¥ जल को शà¥à¤¦à¥à¤§ करती है। इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° यजà¥à¤ž में डाले गये पदारà¥à¤¥ सूकà¥à¤·à¥à¤® होकर वायॠमें मिलकर दà¥à¤°à¥à¤—नà¥à¤§ का नाश आदि अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का लाठपहà¥à¤‚चाते हैं। इससे यह जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है कि पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• गृहसà¥à¤¥à¥€ को पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ व सायं अपने घर के केनà¥à¤¦à¥à¤°à¥€à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में यजà¥à¤ž करके वायॠको शà¥à¤¦à¥à¤§ करना चाहिये जिससे परिवार के सà¤à¥€ लोग शà¥à¤µà¤¾à¤‚स-पà¥à¤°à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤‚स के लिये शà¥à¤¦à¥à¤§ वायॠपà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर सकें और वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में हो रहे रोगों से बच सकें। यह à¤à¥€ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रखना होता है कि यजà¥à¤ž का उपयà¥à¤•à¥à¤¤ समय सूरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¯ व सूरà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥à¤¤ के समय व इन दोनों के मधà¥à¤¯ का होता है। यजà¥à¤ž विषयक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में लिखा है कि यजà¥à¤ž कà¥à¤£à¥à¤¡ में हम जो आहà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ देते हैं वह सूरà¥à¤¯ की किरणों की सहायता से सूरà¥à¤¯ तक पहà¥à¤‚च जाती हैं। इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के कथनों में कà¥à¤› वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• तथà¥à¤¯ छà¥à¤ªà¥‡ हो सकते हैं जिसका विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤¿à¤¤ रहसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का पता लगाना चाहिये।
यजà¥à¤ž में मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤šà¥à¤šà¤¾à¤° कर आहà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ दी जाती हैं। इसका उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ वेद मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ की रकà¥à¤·à¤¾, वेदाधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ में रूचि, ईशà¥à¤µà¤° सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿-पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾-उपासना, यजà¥à¤žà¥‹à¤‚ से होने वाले लाà¤à¥‹à¤‚ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ आदि होता है। यदि हम यजà¥à¤ž में मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤šà¥à¤šà¤¾à¤° नहीं करेंगे तो इससे हम वेदों से दूर हो सकते हैं। यजà¥à¤ž में मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤šà¥à¤šà¤¾à¤° करने से हम यजà¥à¤ž से पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ व सायं जà¥à¥œà¥‡ रहते हैं और जो मनà¥à¤¤à¥à¤° बोलते हैं वह कणà¥à¤ सà¥à¤¥ होने से उनकी रकà¥à¤·à¤¾ होती है व उनके लाठविदित होते हैं। वेदमनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤šà¥à¤šà¤¾à¤° करने से हम संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ को न जानते हà¥à¤ à¤à¥€ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ और वह à¤à¥€ ईशà¥à¤µà¤° रचित मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ का पाठकर पूरà¥à¤£ न सही अरà¥à¤§ व नà¥à¤¯à¥‚न रूप से संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ से जà¥à¥œà¤¤à¥‡ हैं। वेद व यजà¥à¤ž के मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में ईशà¥à¤µà¤° की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ व पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ हैं। मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के उचà¥à¤šà¤¾à¤°à¤£ से मनà¥à¤¤à¥à¤° में निहित ईशà¥à¤µà¤° की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ करने से ईशà¥à¤µà¤° से मेल होता है तथा पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ से हमें आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• à¤à¤µà¤‚ à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• सà¥à¤–ों का लाठहोता है। यजà¥à¤ž करने से शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ सनà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ होने सहित निरà¥à¤§à¤¨à¤¤à¤¾ à¤à¥€ दूर होती है। करà¥à¤®à¤«à¤² सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ के आधार पर यजà¥à¤ž को लाà¤à¤•à¤¾à¤°à¥€ सिदà¥à¤§ किया जा सकता है। यजà¥à¤ž पर विचार करते हैं तो यह पà¥à¤£à¥à¤¯ करà¥à¤® सिदà¥à¤§ होता है। यजà¥à¤ž से हमें लाठहोता है और दूसरे हमारे मितà¥à¤° व शतà¥à¤°à¥ सà¤à¥€ को à¤à¥€ होता है। इससे हम मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ की ओर à¤à¥€ बà¥à¤¤à¥‡ हैं। इसके साथ ही हमारा यह जीवन सà¥à¤–ी होने के साथ à¤à¤¾à¤µà¥€ जनà¥à¤® में à¤à¥€ हमारे पà¥à¤£à¥à¤¯à¤•à¤°à¥à¤®à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° हमारी सà¥à¤– की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ बनती है। यजà¥à¤ž से à¤à¤• लाठयह à¤à¥€ होता है कि यजà¥à¤ž करने से यजà¥à¤ž में रूचि उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हो जाती है। यजà¥à¤ž न करें तो हमें अचà¥à¤›à¤¾ नहीं लगता। हमारे संसà¥à¤•à¤¾à¤° हमसे यजà¥à¤ž कराते हैं। यजà¥à¤ž करने से सनà¥à¤¤à¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ और न करने से मन में असनà¥à¤¤à¥‹à¤· होता है। यजà¥à¤ž के संसà¥à¤•à¤¾à¤° से हमें आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ व सारà¥à¤µà¤œà¤¨à¤¿à¤• आयोजनों में बड़े यजà¥à¤žà¥‹à¤‚ में à¤à¤¾à¤— लेने व वहां यजमान बनने का अवसर मिलता है। विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨ सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ सहित हम उनसे अपनी शंकाओं का समाधान à¤à¥€ कर-करा सकते हैं। यजà¥à¤ž की पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ होने से समाज के विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ सहित आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के सतà¥à¤¸à¤‚गों में आने वाले सजà¥à¤œà¤¨ व अनà¥à¤à¤µà¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से à¤à¥€ हमारा समà¥à¤ªà¤°à¥à¤• व मैतà¥à¤°à¥€à¤à¤¾à¤µ दृण होता है। इससे à¤à¥€ जीवन में अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से सà¥à¤– लाठहोते हैं। हम पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ यजà¥à¤ž व सतà¥à¤¸à¤‚ग में जो समय लगाते हैं उससे कम से कम उस समय तो हम पाप व आलसà¥à¤¯ आदि से बच जाते हैं। यह à¤à¥€ कोई छोटी बात नहीं है। यजà¥à¤ž करने से हमें ईशà¥à¤µà¤° की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती हैं। हम परोपकार व दान आदि के महतà¥à¤µ से परिचित होते हैं और इन करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को करते à¤à¥€ हैं।
यजà¥à¤ž करना ईशà¥à¤µà¤° की वेदाजà¥à¤žà¤¾ है। हमारे सà¤à¥€ ऋषि मà¥à¤¨à¤¿ व विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ पूरà¥à¤µà¤œ यजà¥à¤ž किया करते थे। इनके वंशज à¤à¤µà¤‚ उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤§à¤¿à¤•à¤¾à¤°à¥€ होने के कारण हमें शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ करà¥à¤® यजà¥à¤ž को करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ व परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ के निरà¥à¤µà¤¾à¤¹ के लिठकरना चाहिये। इससे हम रोगों सहित अनेक अजà¥à¤žà¤¾à¤¤ मà¥à¤¸à¥€à¤¬à¤¤à¥‹à¤‚ वा दà¥à¤ƒà¤–ों से बचते हैं। कई बार बड़ी दà¥à¤°à¥à¤˜à¤Ÿà¤¨à¤¾ होने पर à¤à¥€ हमें खरोंच तक नहीं आती। लोग कहते हैं कि à¤à¤¸à¤¾ किसी पà¥à¤£à¥à¤¯ करà¥à¤® के कारण हà¥à¤† है। ईशà¥à¤µà¤° हर कà¥à¤·à¤£ उपासक व यजà¥à¤žà¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾ की रकà¥à¤·à¤¾ करते हैं। यह à¤à¥€ बहà¥à¤¤ बड़ा लाठउपासना, सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ व यजà¥à¤ž से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। यजà¥à¤ž से हमारा सरà¥à¤µà¤µà¤¿à¤§ कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ होता है। हमें सà¥à¤µà¤¯à¤‚ à¤à¥€ यजà¥à¤ž करना चाहिये और इसका पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° कर और अधिक पà¥à¤£à¥à¤¯ का à¤à¤¾à¤—ी बनना चाहिये।
हमने यजà¥à¤ž की संकà¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤¤ चरà¥à¤šà¤¾ की है। जीवन में हमनें यजà¥à¤ž पर अनेक गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ को पà¥à¤¾ है, कà¥à¤› विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¥€ पà¥à¤¾ है और अनेक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨à¥‹à¤‚ को विगत लगà¤à¤— आधी शताबà¥à¤¦à¥€ से सà¥à¤¨à¤¤à¥‡ आ रहे हैं। लेखों व समाचारों के माधà¥à¤¯à¤® से à¤à¥€ हम विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨à¥‹à¤‚ व यजà¥à¤ž विषयक विदà¥à¤µà¤¤-चरà¥à¤šà¤¾à¤“ं को पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करते रहते हैं। हमें विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ है कि यजà¥à¤ž से मनà¥à¤·à¥à¤¯ को सरà¥à¤µà¤µà¤¿à¤§ लाठहोता है। अतः सà¤à¥€ को अवशà¥à¤¯à¤®à¥‡à¤µ यजà¥à¤ž करना चाहिये। ओ३मॠशमà¥à¥¤
-मनमोहन कà¥à¤®à¤¾à¤° आरà¥à¤¯
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