“पाप व पà¥à¤£à¥à¤¯ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ से सà¥à¤– व दà¥à¤ƒà¤– à¤à¤µà¤‚ अनेक शरीरों में हमारा गमनागमनâ€
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Manmohan Kumar AryaDate
23-Feb-2019Category
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HindiTotal Views
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Vikas KumarUpload Date
23-Feb-2019Download PDF
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महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ जी ने सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ के नवम समà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¸ में लिखा है कि सब जीव सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ से सà¥à¤– पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ की इचà¥à¤›à¤¾ और दà¥à¤ƒà¤– का वियोग होना चाहते हैं परनà¥à¤¤à¥ जब तक धरà¥à¤® नहीं करते और पाप नहीं छोड़ते तब तक उन को सà¥à¤– का मिलना और द॑ख का छूटना नहीं होता। उनका कहना है कि सà¥à¤– व दà¥à¤ƒà¤– का मूल धरà¥à¤® और पाप करà¥à¤® होते हैं। यह मूल बिना करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के à¤à¥‹à¤— के नषà¥à¤Ÿ नहीं होता है। यदि हम कोई करà¥à¤® करेंगे, वह धरà¥à¤® हो या अधरà¥à¤®, उसे हमें à¤à¥‹à¤—ना ही होगा। à¤à¥‹à¤—ने पर ही वह करà¥à¤® नषà¥à¤Ÿ होता है। à¤à¤¸à¤¾ हमें ऋषि दयाननà¥à¤¦ का à¤à¤¾à¤µ विदित होता है।
ऋषि दयाननà¥à¤¦ जी ने मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ के आधार पर पाप व पà¥à¤£à¥à¤¯ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ की अनेक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की गतियों पर पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ डाला है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने ‘छिनà¥à¤¨à¥‡ मूले वृकà¥à¤·à¥‹à¤‚ नशà¥à¤¯à¤¤à¤¿ तथा पापे कà¥à¤·à¥€à¤£à¥‡ दà¥à¤ƒà¤–ं नशà¥à¤¯à¤¤à¤¿à¥¤’ का उलà¥à¤²à¥‡à¤– कर बताया है कि जैसे मूल कट जाने से वृकà¥à¤· नषà¥à¤Ÿ हो जाता है वैसे पाप को छोड़ने से दà¥à¤ƒà¤– नषà¥à¤Ÿ होता है। इसका तातà¥à¤ªà¤°à¥à¤¯ यही है कि यदि हम चाहते हैं कि हमें कà¤à¥€ किसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का कोई दà¥à¤ƒà¤– न हो तो हमें अधरà¥à¤® व पाप करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को करना छोड़ देना चाहिये।
मà¥à¤¨à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ में पाप व पà¥à¤£à¥à¤¯ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ की गतियां बताते हà¥à¤ ऋषि कहते हैं कि मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ के अà¤à¤¿à¤ªà¥à¤°à¤¾à¤¯ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° मनà¥à¤·à¥à¤¯ अपने शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ , मधà¥à¤¯ और निकृषà¥à¤Ÿ सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ को जानकर उतà¥à¤¤à¤® सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ का गà¥à¤°à¤¹à¤£, मधà¥à¤¯ और निकृषà¥à¤Ÿ सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ का तà¥à¤¯à¤¾à¤— करे। वह यह à¤à¥€ निशà¥à¤šà¤¯ जाने कि यह जीव मन, वाणी व शरीर से जिन शà¥à¤ वा अशà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को करता है उन करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का सà¥à¤– व दà¥à¤ƒà¤– रूपी फल अपने शरीर से à¤à¥‹à¤—ता है। जो नर शरीर से चोरी, परसà¥à¤¤à¥à¤°à¥€à¤—मन, शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ ों को मारने आदि दà¥à¤·à¥à¤Ÿ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को करता है उस को वृकà¥à¤·à¤¾à¤¦à¤¿ सà¥à¤¥à¤¾à¤µà¤° का जनà¥à¤®, वाणी से किये पाप करà¥à¤®à¥‹à¤‚ से पकà¥à¤·à¥€ और मृगादि, तथा मन से किये दà¥à¤·à¥à¤Ÿ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ से चाणà¥à¤¡à¤¾à¤² आदि का शरीर मिलता है।
जो गà¥à¤£ इन जीवों के देह में अधिकता से वरà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¤à¤¾ है वह गà¥à¤£ उस जीव को अपने सदृश कर देता है। जब आतà¥à¤®à¤¾ में जà¥à¤žà¤¾à¤¨ हो तब सतà¥à¤µ, जब अजà¥à¤žà¤¾à¤¨ रहे तब तम, और जब राग-दà¥à¤µà¥‡à¤· में आतà¥à¤®à¤¾ लगे तब रजोगà¥à¤£ जानना चाहिये। ये तीन पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ के गà¥à¤£ सब संसारसà¥à¤¥ पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ में वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो कर रहते हैं। मनà¥à¤·à¥à¤¯ का इनका विवेक इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° करना चाहिये कि जब आतà¥à¤®à¤¾ में पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ हो तथा मन पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ व पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¨à¥à¤¤ के सदृश शà¥à¤¦à¥à¤§à¤à¤¾à¤¨à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ वरà¥à¤¤à¥‡, तब समà¤à¤¨à¤¾ चाहिये कि सतà¥à¤µà¤—à¥à¤£ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ और रजोगà¥à¤£ तथा तमोगà¥à¤£ अपà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ हैं। जब आतà¥à¤®à¤¾ और मन दà¥à¤ƒà¤– संयà¥à¤•à¥à¤¤ व पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾à¤°à¤¹à¤¿à¤¤ विषय में इधर उधर गमन-आगमन में लगे तब समà¤à¤¨à¤¾ कि रजोगà¥à¤£ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨, सतà¥à¤µà¤—à¥à¤£ और तमोगà¥à¤£ अपà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ हैं।
जब मोह अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ सांसारिक पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ में फंसा हà¥à¤† आतà¥à¤®à¤¾ और मन हो, जब आतà¥à¤®à¤¾ और मन में कà¥à¤› विवेक न रहे, विषयों में आसकà¥à¤¤ होकर तरà¥à¤•-वितरà¥à¤• रहित जानने के योगà¥à¤¯ न हो, तब निशà¥à¤šà¤¯ समà¤à¤¨à¤¾ चाहिये कि इस समय मà¥à¤ में तमोगà¥à¤£ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ और सतà¥à¤µà¤—à¥à¤£ तथा रजोगà¥à¤£ अपà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ हैं। जो इन तीनों गà¥à¤£à¥‹à¤‚ का उतà¥à¤¤à¤®, मधà¥à¤¯à¤® और निकृषà¥à¤Ÿ फलोदय होता है, उस को पूरà¥à¤£à¤à¤¾à¤µ से पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करते हैं। जिन मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ वेदों का अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸, धरà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤·à¥à¤ ान, जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की वृदà¥à¤§à¤¿, पवितà¥à¤°à¤¤à¤¾ की इचà¥à¤›à¤¾, इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का निगà¥à¤°à¤¹, धरà¥à¤® कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ और आतà¥à¤®à¤¾ का चिनà¥à¤¤à¤¨ होता है, यही सतà¥à¤µà¤—à¥à¤£ का लकà¥à¤·à¤£ है। जब रजोगà¥à¤£ का उदय, सतà¥à¤µ और तमोगà¥à¤£ का अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤à¤¾à¤µ होता है, तब आरमà¥à¤ में रà¥à¤šà¤¿à¤¤à¤¾, धैरà¥à¤¯-तà¥à¤¯à¤¾à¤—, असतॠकरà¥à¤®à¥‹à¤‚ का गà¥à¤°à¤¹à¤£, निरनà¥à¤¤à¤° विषयों की सेवा में पà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿ होती है तà¤à¥€ समà¤à¤¨à¤¾ कि रजोगà¥à¤£ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤¤à¤¾ से मà¥à¤ में वरà¥à¤¤à¥à¤¤ रहा है। जब तमोगà¥à¤£ का उदय और तम व रजो गà¥à¤£ दोनों का अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤à¤¾à¤µ होता है तब अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ लोठअरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ सब पापों का मूल बà¥à¤¤à¤¾ है, अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ आलसà¥à¤¯ और निदà¥à¤°à¤¾ आ घेरते है, धैरà¥à¤¯ का नाश, कà¥à¤°à¥‚रता का होना, नासà¥à¤¤à¤¿à¤•à¥à¤¯ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ वेद और ईशà¥à¤µà¤° में शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ का न रहना, à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨-à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ अनà¥à¤¤à¤ƒà¤•à¤°à¤£ की वृतà¥à¤¤à¤¿ और à¤à¤•à¤¾à¤—à¥à¤°à¤¤à¤¾ का अà¤à¤¾à¤µ, जिस किसी से याचना अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ मांगना, पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤¦ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ मदà¥à¤¯à¤ªà¤¾à¤¨à¤¾à¤¦à¤¿ दà¥à¤·à¥à¤Ÿ वà¥à¤¯à¤¸à¤¨à¥‹à¤‚ में फंसना होवे, तब समà¤à¤¨à¤¾ कि तमोगà¥à¤£ मà¥à¤ में बॠकर वरà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¤à¤¾ है। यह सब तमोगà¥à¤£ का लकà¥à¤·à¤£ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को जानने योगà¥à¤¯ है तथा जब अपना आतà¥à¤®à¤¾ जिस करà¥à¤® को करके वा उसे करता हà¥à¤† और करने की इचà¥à¤›à¤¾ से लजà¥à¤œà¤¾, शंका और à¤à¤¯ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होवे तब जानों कि मà¥à¤ में पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¦à¥à¤§ तमोगà¥à¤£ है।
जिस करà¥à¤® से इस लोक में जीवातà¥à¤®à¤¾ पà¥à¤·à¥à¤•à¤² पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§à¤¿ चाहता, दरिदà¥à¤°à¤¤à¤¾ होने में à¤à¥€ चारण, à¤à¤¾à¤Ÿ आदि को दान देना नहीं छोड़ता तब समà¤à¤¨à¤¾ कि उस मनà¥à¤·à¥à¤¯ में रजोगà¥à¤£ पà¥à¤°à¤¬à¤² है। जब मनà¥à¤·à¥à¤¯ का आतà¥à¤®à¤¾ सब से जà¥à¤žà¤¾à¤¨-विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ व सतà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¤à¥à¤¯ को जानना चाहै, गà¥à¤£à¥‹à¤‚ को गà¥à¤°à¤¹à¤£ करता जाये, अचà¥à¤›à¥‡ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ में लजà¥à¤œà¤¾ न करे और जिस करà¥à¤® से आतà¥à¤®à¤¾ पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ होवे अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ धरà¥à¤®à¤¾à¤šà¤°à¤£ में ही रà¥à¤šà¤¿ रहे तब समà¤à¤¨à¤¾ कि उसमें सतà¥à¤µà¤—à¥à¤£ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨ है। तमोगà¥à¤£ का लकà¥à¤·à¤£ काम, रजोगà¥à¤£ का अरà¥à¤¥à¤¸à¤‚गà¥à¤°à¤¹ की इचà¥à¤›à¤¾ और सतà¥à¤µà¤—à¥à¤£ का लकà¥à¤·à¤£ धरà¥à¤®à¤¸à¥‡à¤µà¤¾ करना है परनà¥à¤¤à¥ तमोगà¥à¤£ से रजोगà¥à¤£ और रजोगà¥à¤£ से सतà¥à¤µà¤—à¥à¤£ शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ है।
मनà¥à¤·à¥à¤¯ में सतà¥à¤µ, रज व तम गà¥à¤£à¥‹à¤‚ में से जिन गà¥à¤£à¥‹à¤‚ की पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤¤à¤¾ होती उनका पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ उनकी पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पर होता है और उससे उनका à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤¨à¤°à¥à¤œà¤¨à¥à¤® à¤à¥€ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ होता है। मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ के शà¥à¤²à¥‹à¤•à¥‹à¤‚ से इस पर à¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ पड़ता है। ऋषि दयाननà¥à¤¦ जी ने इससे समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤¿à¤¤ 11 शà¥à¤²à¥‹à¤•à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ कर उनके अरà¥à¤¥ दिये हैं। वह बताते हैं कि जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ सातà¥à¤µà¤¿à¤• हैं वे देव अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨, जो रजोगà¥à¤£à¥€ होते हैं वे मधà¥à¤¯à¤® मनà¥à¤·à¥à¤¯ और जो तमोगà¥à¤£à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ होते हैं वे नीच गति को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होते हैं। जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ तमोगà¥à¤£à¥€ हैं वे सà¥à¤¥à¤¾à¤µà¤° वृकà¥à¤·à¤¾à¤¦à¤¿, कृमि, कीट, मतà¥à¤¸à¥à¤¯, सरà¥à¤ªà¥à¤ª, कचà¥à¤›à¤ª, पशॠऔर मृग के जनà¥à¤® को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होते हैं। जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ मधà¥à¤¯à¤® तमोगà¥à¤£à¥€ हैं वे हाथी, घोड़ा, शूदà¥à¤°, मà¥à¤²à¥‡à¤šà¥à¤› निनà¥à¤¦à¤¿à¤¤ करà¥à¤® करने वाले सिंह, वà¥à¤¯à¤¾à¤˜à¥à¤°, वराह अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ सूकर के जनà¥à¤® को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होते हैं। जो उतà¥à¤¤à¤® तमोगà¥à¤£à¥€ हैं वे चारण (जो कि कवितà¥à¤¤ दोहा आदि बनाकर मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ की पà¥à¤°à¤¶à¤‚सा करते हैं), सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° पकà¥à¤·à¥€, दामà¥à¤à¤¿à¤• पà¥à¤°à¥à¤· अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ अपने मà¥à¤– से अपनी पà¥à¤°à¤¶à¤‚सा करनेहारे, राकà¥à¤·à¤¸ जो हिंसक, पिशाच जो अनाचारी अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ मदà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ के आहारकरà¥à¤¤à¤¾ और मलिन रहते हैं, वह उतà¥à¤¤à¤® तमोगà¥à¤£ के करà¥à¤® का फल है। जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ रजोगà¥à¤£à¥€ हैं वे à¤à¤²à¥à¤²à¤¾ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ तलवार आदि से मारने वा कà¥à¤¦à¤¾à¤° आदि से खोदनेहारे, मलà¥à¤²à¤¾ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ नौका आदि के चलाने वाले, नट जो बांस आदि पर कला अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ कूदना चà¥à¤¨à¤¾ उतरना आदि करते हैं, शसà¥à¤¤à¥à¤°à¤§à¤¾à¤°à¥€ à¤à¥ƒà¤¤à¥à¤¯ और मदà¥à¤¯ पीने में आसकà¥à¤¤ हों, à¤à¤¸à¥‡ जनà¥à¤® नीच रजोगà¥à¤£ का फल है।
जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ अधम रजोगà¥à¤£à¥€ होते हैं वे राजा, कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯ वरà¥à¤£à¤¸à¥à¤¥ राजाओं के पà¥à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤, वादविद करने वाले, दूत, पà¥à¤°à¤¾à¤¡à¥à¤µà¤¿à¤µà¤¾à¤• (वकील बारिषà¥à¤Ÿà¤°), यà¥à¤¦à¥à¤§-विà¤à¤¾à¤— के अधà¥à¤¯à¤•à¥à¤· के जनà¥à¤® पाते हैं। जो उतà¥à¤¤à¤® रजोगà¥à¤£à¥€ हैं वे गनà¥à¤§à¤°à¥à¤µ (गाने वाले) गà¥à¤¹à¥à¤¯à¤• (वादितà¥à¤° बजानेवाले), यकà¥à¤· (धनाढय), विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के सेवक और अपà¥à¤¸à¤°à¤¾ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ जो उतà¥à¤¤à¤® रूप वाली सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ का जनà¥à¤® पाते हैं। जो तपसà¥à¤µà¥€, यति, संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€, वेदपाठी, विमान के चलाने वाले, जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤·à¥€ और दैतà¥à¤¯ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ देहपोषक मनà¥à¤·à¥à¤¯ होते हैं उनको पà¥à¤°à¤¥à¤® सतà¥à¤µà¤—à¥à¤£ के करà¥à¤® का फल जानना चाहिये। जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ मधà¥à¤¯à¤® सतà¥à¤µà¤—à¥à¤£ यà¥à¤•à¥à¤¤ होकर करà¥à¤® करते हैं ये जीव यजà¥à¤žà¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾, वेदारà¥à¤¥à¤µà¤¿à¤¤à¥à¤¤à¥, विदà¥à¤µà¤¾à¤¨, वेद, विदà¥à¤¯à¥à¤¤ आदि काल विदà¥à¤¯à¤¾ के जà¥à¤žà¤¾à¤¤à¤¾, रकà¥à¤·à¤•, जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ और (साधà¥à¤¯) कारà¥à¤¯à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§à¤¿ के लिये सेवन करने योगà¥à¤¯ अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• का जनà¥à¤® पाते हैं। इनके अतिरिकà¥à¤¤ जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ उतà¥à¤¤à¤® सतà¥à¤µà¤—à¥à¤£à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ होके उतà¥à¤¤à¤® करà¥à¤®à¥à¤® करते हैं वे बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ सब वेदों का वेतà¥à¤¤à¤¾ विशà¥à¤µà¤¸à¥ƒà¤œà¥à¥ सब सृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¥à¤°à¤® विदà¥à¤¯à¤¾ को जानकर विविध विमानादि यानों को बनानेवाले, धारà¥à¤®à¤¿à¤• सरà¥à¤µà¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ और अवà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ के जनà¥à¤® और पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤µà¤¶à¤¿à¤¤à¥à¤µ सिदà¥à¤§à¤¿ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होते हैं। ऋषि दयाननà¥à¤¦ जी लिखते हैं कि जो इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯ के वश होकर धरà¥à¤® को छोड़कर अधरà¥à¤® करनेवाले अविदà¥à¤µà¤¾à¤¨ हैं वे मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ में नीच जन बà¥à¤°à¥‡-बà¥à¤°à¥‡ दà¥à¤ƒà¤–रूप जनà¥à¤® को पाते हैं। वह यह à¤à¥€ लिखते हैं कि इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° सतà¥à¤µ, रज और तमोगà¥à¤£ यà¥à¤•à¥à¤¤ वेग से जिस-जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का करà¥à¤® जीव करता है उस-उस को उसी-उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° फल पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है। ऋषि यह à¤à¥€ कहते हैं कि जो मà¥à¤•à¥à¤¤ होते हैं वे गà¥à¤£à¤¾à¤¤à¥€à¤¤ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ सब गà¥à¤£à¥‹à¤‚ के सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ में न फंसकर महायोगी होके मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ का साधन करें। ऋषि यह परामरà¥à¤¶ देते हैं कि सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को चाहिये कि सà¤à¥€ दà¥à¤ƒà¤–ों का कारण मनà¥à¤·à¥à¤¯ की अचà¥à¤›à¥€ व बà¥à¤°à¥€ पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को छोड़कर मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ के लिये पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ करना चाहिये। मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ के लिये पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ ही अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ है। यही मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन का चरम लकà¥à¤·à¥à¤¯ à¤à¥€ है।
कोई à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ दà¥à¤ƒà¤– को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होना नहीं चाहता। जनà¥à¤® व मरण के चकà¥à¤° में फंसे जीव का दà¥à¤ƒà¤–ों से पूरà¥à¤£à¤¤à¤¯à¤¾ निवृतà¥à¤¤ होना तब तक समà¥à¤à¤µ नहीं है जब तक की हममें दà¥à¤ƒà¤–ों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ विरकà¥à¤¤à¤¿ सहित सà¥à¤– के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ à¤à¥€ किसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की इचà¥à¤›à¤¾ व पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ न हो। हमारा पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ होना चाहिये कि हम असतà¥à¤¯ व पाप से सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ मà¥à¤•à¥à¤¤ कर ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾, यजà¥à¤ž à¤à¤µà¤‚ परोपकार आदि सदà¥à¤•à¤°à¥à¤®à¥‹à¤‚ को करें और सà¥à¤– व दà¥à¤ƒà¤– की इचà¥à¤›à¤¾ न करें। जब हम अशà¥à¤ व पाप करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का पूरà¥à¤£à¤¤à¤¯à¤¾ तà¥à¤¯à¤¾à¤— कर देंगे और सà¥à¤– à¤à¥‹à¤— के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ à¤à¥€ हमारे à¤à¥€à¤¤à¤° à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ नहीं होगी तब हम शà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ से मृतà¥à¤¯à¥ से पार होकर विदà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ आदि करà¥à¤®à¥‹à¤‚ से मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ वा मोकà¥à¤· को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर सकते हैं। यही हमारा लकà¥à¤·à¥à¤¯ है। ओ३मॠशमà¥à¥¤
-मनमोहन कà¥à¤®à¤¾à¤° आरà¥à¤¯
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