मुस्लिम लेखिका अय्यान हिरसी अली ने एक बार कहा था कि जमाना तो बदला पर अभी भी इस्लाम में बहुत कुछ नहीं बदला। हाल ही में एक प्रसिद्ध न्यूज एजेंसी को अपनी अंडरकवर पड़ताल में पता चला है कि इराक की दो सबसे पवित्र जगहों बगदाद और कर्बला में कुछ मौलवी मासूम बच्चियों की यौन शोषण की एक गोपनीय दुनिया चला रहे हैं। मौलवी कमजोर लड़कियों को पहले इसके लिए तैयार करते हैं फिर उनकी दलाली करते हैं जिसे श्निकाह मुताश् कहा जाता है। इस धार्मिक प्रथा के अंतर्गत मुसलमान पैसे ख़र्च करके अस्थायी पत्नी रख सकते हैं।  कुछ मौलवी इसी प्रथा का नाम लेकर छोटी लड़कियों और बच्चों का शोषण करने में इस्तेमाल कर रहे हैं। ये मौलवी इस निकाह मुता के लिए महज 9 साल की लड़कियां तक मुहैया कराने को तत्पर थे। वहीं कुछ ने इससे भी कम उम्र की लड़कियां देने की पेशकश भी की। इस डॉक्युमेंट्री को देखने से पता चलता है कि मौलवी दलाल के रूप में काम कर रहे हैं और बच्चों को यौन शोषण की दुनिया में भेजने में संलिप्त हैं।

दरअसल अरबी शब्द मुताह निकाह का अर्थ है (आनंद, मजा) मसलन आनंद के लिए शादी और यह घिनोना प्रचलन केवल अरब तक सिमित नहीं है बल्कि भारत तक इसकी आड़ में देहव्यापार हो रहा है। सितम्बर, 2017 हैदराबाद में पुलिस ने एक बड़े अरबी विवाह रैकेट का खुलासा करते हुए ओमान और कतर के आठ बुजुर्ग नागरिकों और तीन मौलवियों को गिरफ्तार किया था। रैकेट के शिकारों में नाबालिग लड़कियां भी शामिल थीं। गिरफ्तार किए गए मौलवियों में मुंबई के मुख्य काजी फरीद अहमद खान शामिल थे और ये सब इसी इस्लामी विवाह प्रथा (मुताह निकाह) के नाम पर भारत में नाबालिग बच्चियों का यौन शोषण करने आये थे।

असल में ये कोई ताजा मामला नहीं है बल्कि इस्लाम के अन्दर यह बुराई बहुत पुरानी है, जिस पर कई बार बवाल मच चूका है। साल 2002 में “टाइम्स ऑफ इंडिया” समाचार पत्र में मोहम्मद वाजिहुद्दीन ने “एक छोटी सी लड़की अरब की हो सकती है” शीर्षक से लेख लिखा था। वाहिजुद्दीन ने इस चर्चा को आरंभ करते हुए लिखा था कि नई उर्जा वाले ये पुराने शिकारी हैं। प्रायरू दाढ़ी रखने वाले और लहराते चोंगे के साथ पगड़ी पहनने वाले ये अरब हैदराबाद की गलियों में मध्यकाल के हरम में चलने वाले राजाओं की याद दिलाते हैं जिसे हम इतिहास का हिस्सा मान बैठे हैं। वियाग्रा का सेवन करने वाले ये अरब इस्लामी विवाह के नियम “मुताह निकाह” की आड़ में शर्मनाक अपराध को अंजाम देते हैं। वाजिहुद्दीन ने इस समस्या को और स्पष्ट करते हुए लिखा था कि ये लोग उस परिपाटी का दुरुपयोग करते हैं जिसके द्वारा एक मुस्लिम एक साथ चार पत्नियां रख सकता है। अनेक बूढ़े अरबवासी न केवल अधिकांश नाबालिग हैदराबादी लड़कियों से विवाह करते हैं। वरन् एक बार में ही एक से अधिक नाबालिग लड़कियों से विवाह कर डालते हैं। इस घटिया काम ये अरबवासी बेहद कम उम्र की बच्चियों को प्राथमिकता देते हैं। ये अरबवासी सामान्यतरू इन लड़कियों से थोड़े समय के लिए विवाह करते हैं और कभी-कभी तो केवल एक रात के लिए। इसमें विवाह और तलाक की औपचारिकता एक साथ पूरी कर ली जाती है।

इसी दौरान एक अन्य लेखिका आर अखिलेश्वरी के कहा था कि इन बुजुर्ग अरबवासियों की वासना की आग को बुझाने के लिए ये लड़कियां केवल पांच सात हजार रु में भी उपलब्ध हैं। कुछ समय पहले भारत के एक टेलीविजन कार्यक्रम में आठ संभावित दुल्हनों को दिखाया गया था जो अरबवासियों को प्रस्तुत की जानीं थीं। यह सब एक वेश्याग्रह जैसा प्रतीत होता था। इन लड़कियों को अरबियों के समक्ष लाया गया और उन्होंने इनका बुर्का उठाकर उनके बालों में अपनी अंगुलियां फेरी और उनकी अंगुलियों को भली प्रकार जांच कर द्विभाषिय की मदद से उनसे बात की।

केवल इतना भर नहीं बल्कि एक अगस्त 2005 को संयुक्त अरब अमीरात् के 45 वर्षीय शेख़ रहमान इस्माइल मिर्जा अब्दुल जब्बार ने हैदराबाद के ऐतिहासिक चार मीनार इलाके में 70 वर्षीय दलाल जैनाब को इस सौदे के लिए पकड़ा। इस दलाल ने 13 और 14 साल की फरहीन सुल्ताना और हिना सुल्ताना को 25 हजार रु. पर राजी किया था। उसके बाद उसने मौलवी को तैयार कर इस्लामिक प्रावधान के अनुरुप इन लड़कियों की शादी अरबवासी से कर दी। रात की शादी के बाद सुबह अरबवासी ने उन्हें छोड़ दिया, उस शादी के लिए इतना समय पर्याप्त था।

जहाँ ये शर्म का विषय होना चाहिए वहीं इन शादियों को जायज बताते हुए उस समय हैदराबाद के मुसलमानों की प्रमुख पार्टी मजलिसे इत्तिहादुल मुस्लमिन के पार्टी अध्यक्ष सुल्तान सलाहुद्दीन ओवैसी ने तो तब यहां तक कहा था कि “आप &ag

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