पिछले दो दशकों में चीन ने दुनिया को इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से लेकर दवाइयाँ और कच्चा माल निर्यात किया और अपनी अर्थव्यवस्था में सुधार किया। लेकिन इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि इन दो दशकों में चीन ने दुनिया को हजारों गंभीर बीमारियाँ भी निर्यात कीं, जिससे विश्व भर हजारों लोग संक्रमित हुए और बड़ी संख्या में लोगों को मौत की नींद सुलाया। अब बार फिर चीन से एक ऐसी ही गंभीर बीमारी का जन्म हुआ है। एक ऐसा वायरस जिसकी जानकारी अब तक विज्ञान में थी ही नहीं, वो चीन में तो कहर ढा रहा है। अब ये वायरस दुनिया के कई दूसरे देशों तक भी पहुँच गया है।"

"हालात की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि चीन के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अब तक 5974 लोगों के इस वायरस के चपेट में आने की पुष्टि की जा चुकी है। इस वायरस की चपेट में आए 1239 मरीजों की हालत गंभीर है, जबकि 132 मरीजों की मौत हो चुकी है। बताया जा रहा है इस बीमारी की शुरुआत चमगादड़ का सूप पीने से हुई है। चीन के वुहान शहर में यह सूप पीने वाली एक लड़की से कोरोना वायरस फैला है। साल 2018 में दुनिया भर में तबाही मचाने वाला निपाह वायरस भी चमगादड़ से फैला था। इससे पहले, बर्ड फ्लू, स्वाइन फ्लू और चिकन पॉक्स जैसी गंभीर संक्रामक बीमारियाँ भी जानवरों का मांस खाने से ही दुनिया भर में फैल चुकी हैं।

आपने जो टेक्स्ट भेजा है — यह एक रिपोर्ट या आलेख का अंश लगता है जिसमें बताया गया है कि चीन में खाने-पीने की चीज़ों और जानवरों के व्यापार से जुड़े रिवाज़ों और सांस्कृतिक विविधताओं के चलते, मास (मांस) सेवन का तरीका अलग-अलग है। खासतौर पर, वुहान शहर के 'हुआनान सीफूड मार्केट' का ज़िक्र है, जहाँ पर कई प्रकार के जंगली जानवर बेचे जाते थे, और यही बाज़ार 2019-2020 में COVID-19 महामारी के शुरुआती केंद्र के रूप में सामने आया था।

साथ ही इसमें SARS वायरस (2002) के उद्भव की भी चर्चा है, जो पहले गुआंगडोंग प्रांत में फैला था।

फिर बताया गया है कि चीन में कई व्यंजन और खानपान संस्कृति का आधार पारंपरिक चीनी चिकित्सा और भोजन-पद्धति से जुड़ा हुआ है, जिसमें जड़ी-बूटियों, वन्य जीवों और विभिन्न प्रजातियों का भी उपयोग होता है।

इसके अलावा, रिपोर्ट ये भी बता रही है कि मासाहार और वन्यजीव बाज़ार के विषय में अब दुनिया भर में सतर्कता बढ़ी है, और कई देशों में इस पर नज़र रखी जा रही है।

यदि आप चाहें तो मैं इस पूरे टेक्स्ट का शुद्ध हिंदी में सरल अनुवाद, सारांश, या विश्लेषण भी कर सकता हूँ। क्या आप चाहेंगे?

साल 2012 में चीन में 774 लोगों की मौत का जिम्मेदार सार्स वायरस भी मांसाहार के कारण ही दुनिया में फैला था और तबाही मचाई थी। वर्ष 2013 में एच7एन9 एवियन का स्रोत भी चीन ही रहा था। इस इंफ्लुएंजा ने भी कई देशों को अपनी चपेट में लिया था। इसकी वजह भी पॉल्ट्री फार्म बना था। चीन में जहाँ पर खाने के लिए पक्षियों की खरीदी-फरोख्त होती थी, वहाँ से इसका वायरस तेजी से फैला था। वर्ष 2014 में चीन के गुआंगडांग प्रांत से ही एच5एन6 बर्ड फ्लू सामने आया था। इसके बाद चीन में एहतियातन करीब डेढ़ लाख पक्षियों को मार दिया गया था। इसके अलावा इसके बाद वर्ष 2018 में निपाह वायरस और स्वाइन फ्लू जैसी बीमारियाँ भी पक्षियों और सुअर का मांस खाने से दुनिया में फैली थीं।

बहरहाल, चीन में कोरोना के प्रकोप के बाद मांंस की बिक्री पर अस्थायी तौर पर प्रतिबंध लगाया गया है। चीनी सरकार लोगों को शाकाहार की ओर लाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। अब जो सबसे बड़ा सवाल है, वह यह है कि अगर यह वायरस किसी सब्जी, टमाटर या आम से फैलता, तो क्या होता? शायद शाकाहार भोज़न करने वालों को पीछे और अशिक्षित बताया जाता, और विश्वभर में फलों और सब्ज़ियों का बहिष्कार किया जाता। लेकिन कोरोना पर दुनिया के किसी टीवी चैनल ने यह नहीं कहा कि ऐसे तमाम मांसाहारी मांंसाहारियों से फैलती तो मांंसाहारी भोजन को प्रतिबंधित कर देना चाहिए। जबकि दुनिया भर में पहले वायरस को लेकर एक खास जानकारी यह भी है कि दुनिया को अपनी प्लेट में लेने वाले करीब सारे फ़ीसद वायरस मांंसाहार से ही फैलते हैं। इसके विपरीत देखें, तो आज तक कभी भी अमरुद, लौकी, भिंडी से लेकर किसी भी दाल या अनाज समेत किसी भी शाकाहार व्यंजन से ऐसी कोई महामारी नहीं फैली। सिर्फ इतना होता है कि किसी इंसान को कोई आधा पका फल या सब्जी पाचन में दिक्कत दे सकती है, लेकिन ऐसा भी बहुत कम लोगों में होता है।

हालांकि, इस वायरस के आने के बाद अब आज के दौर के डॉक्टर भी लोगों को सलाह दे रहे हैं कि इस वायरस से बचने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहें, विटामिन-सी युक्त फल खाएं। साथ ही शरीर की प्रतिरक्षा क्षमता बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों का प्रयोग करें। मांस-मछली और सी-फूड न खाएं, और स्वच्छ और निरोग रहना है तो शाकाहार का उपयोग करें। इसी के साथ मानवता का साथ भी है और उत्थान भी।

 

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