बचपन से हमें याद दिलाती थी दादी नानी।
जितनी आवशयकता हो, उतना ही खरच करो पानी।।
बडे़ बूढ़ों की बात पर हमने कभी नहीं मानी।
पीने के पानी के लि भी आज हो रही है परेशानी।।
तालाबों कओं, नदियों में कम हो गया है पानी।
इंसान की आंखों में भी अब नजर नही आता पानी।।
परा होते जा रहे अपनों की आखों में नहीं पानी।
अपने बने ह परायों की आखों में दिखता है पानी।।
नदियों में हम हैं डाल रहे हमारा कूड़ा कचरा।
जल परदूषण गंभीर चनौती है वरतमान का खतरा।।
परयावरण परबंधन का आई.स.ओ. 14001 करि परापत।
परयावरण संरकषण के लि उपाय करि परयापत।।
ईंधन ऊरजा के साथ पानी की करि बचत।
कम करनी होगी परति वयकति पानी की खपत।।
परति वयकति सौ लिटर परतिदिन पानी खरच होता।
पांच लिटर पानी बचाकर भी पयासों पर अहसान होगा।।
बाथरूम किचन के वेसट पानी का करि सदपयोग।
गारडन सफाई में उपयोग कर कम कीजि दरूपयोग।।
खले नल, रिसते, बहते, लीक होते पानी पर रहे धयान।
पानी की बचत से होगा तरसते लोगों पर हसान।।
सागर के खारे पानी के निरलवणीकरण के लि लगां संयंतर।
समदर के पानी को पीने योगय बनाने के लि सीखें मंतर।।
जल चेतना की करांति लां यही करें सभी संकलप।
जल है तो कल है पानी का नहीं है कोई विकलप।।

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