शंका समाधान
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Dr. Vivek AryaDate
20-Nov-2014Category
शंका समाधानLanguage
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03-Feb-2016Download PDF
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शंका 1 - हम जीवन में 99 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ काम आसà¥à¤¥à¤¾à¤“ं के आधार पर ही करते हैं और केवल 1 पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¶à¤¤ तरà¥à¤• पर करते हैं। माता-पिता की पहचान à¤à¥€ आसà¥à¤¥à¤¾ पर होती है। कोई à¤à¥€ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ अपना DNA टेसà¥à¤Ÿ करवा कर माता पिता की पहचान सिदà¥à¤§ नहीं करवाता। आरà¥à¤¯ समाज और सनातन धरà¥à¤® à¤à¤• दूसरे के विरोधी नहीं हैं। दोनो à¤à¤• ही सिकà¥à¤•à¥‡ (हिनà¥à¤¦à¥‚ धरà¥à¤®) के दो पहलू हैं और à¤à¤• दूसरे के पूरक हैं। आम के चितà¥à¤° से बचà¥à¤šà¥‡ को आम की पहचान करवाना अधरà¥à¤® या मूरà¥à¤–ता नहीं इसी तरह किसी चितà¥à¤° से à¤à¤—वान के सà¥à¤µà¤°à¥‚प को समà¤à¤¨à¥‡ में à¤à¥€ कोई बà¥à¤°à¤¾à¤ˆ नहीं वह केवल टà¥à¤°à¥‡à¤¨à¤¿à¤‚ग à¤à¤¡ (Training Aid) है। आरà¥à¤¯-समाज संगठन ने मूरà¥à¤¤à¤¿ पूजा को तालिबानी तरीके का à¤à¤• मà¥à¤¦à¥à¤¦à¤¾ बना कर हिनà¥à¤¦à¥‚-संगठन को कमजोर किया है।
समाधान- आसà¥à¤¥à¤¾ अगर जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के बिना हो तो वह अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ कहलाता हैं। à¤à¤• उदहारण लीजिये जब वरà¥à¤·à¤¾ नहीं होती तो कà¥à¤› लोग आसà¥à¤¥à¤¾ के चलते कà¥à¤¤à¥à¤¤à¥‡ का विवाह कà¥à¤‚वारी लड़की से करते हैं। यह आसà¥à¤¥à¤¾ हैं मगर बिना जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की आसà¥à¤¥à¤¾ हैं। सà¤à¥€ जानते हैं कि शराब बà¥à¤°à¥€ चीज हैं। जिसे इसकी लत पड़ जाये तो न केवल वह बलà¥à¤•à¤¿ उसका परिवार à¤à¥€ बरà¥à¤¬à¤¾à¤¦ हो जाता हैं। फिर à¤à¥€ राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में à¤à¤• मंदिर में à¤à¤•à¥à¤¤ देवी की मूरà¥à¤¤à¤¿ पर शराब चà¥à¤¾à¤¤à¥‡ हैं। पूछो तो कहते हैं तà¥à¤® कौन हमारी आसà¥à¤¥à¤¾ हैं। गà¥à¤µà¤¹à¤¾à¤Ÿà¥€ में कामखà¥à¤¯à¤¾ का मंदिर हैं। हर रोज सैकड़ों मà¥à¤°à¥à¤—े, बकरे, कबूतर, à¤à¥ˆà¤‚से और न जाने किस किस निरीह जानवर को देवी को अरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करने के नाम पर मारे जाते हैं। पूछो तो कहते हैं तà¥à¤® कौन हमारी आसà¥à¤¥à¤¾ हैं। à¤à¤• अनà¥à¤¯ उदहारण लीजिये à¤à¤• छातà¥à¤° को अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• गणित का à¤à¤• पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ पूछता हैं। छातà¥à¤° अपनी तà¥à¤šà¥à¤› बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ से अनाप शनाप उतà¥à¤¤à¤° लिख देता हैं और कहता हैं जी मेरा ही उतà¥à¤¤à¤° सही हैं। अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• पूछता हैं à¤à¤¾à¤ˆ तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ ही उतà¥à¤¤à¤° सही कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ हैं। छातà¥à¤° कहता हैं मेरा ही उतà¥à¤¤à¤° इसलिठसही हैं कà¥à¤¯à¥‚ंकि मेरी इसमें आसà¥à¤¥à¤¾ हैं, मेरा इसमें विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ हैं। अब अधà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• उसे कितने नंबर देगा सà¤à¥€ जानते हैं। हिनà¥à¤¦à¥‚ समाज की यही हालत हैं। सà¤à¥€ धारà¥à¤®à¤¿à¤• हैं,आसà¥à¤¥à¤¾à¤µà¤¾à¤¨ हैं,ईमानदार हैं, करà¥à¤¤à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ का पालन करने वाले हैं मगर चलते अपनी आसà¥à¤¥à¤¾ से हैं नाकि नियम से चलते हैं। नियम का निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤£ यथारà¥à¤¥ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से होता होता हैं जो सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आदि से अंत तक तरà¥à¤• की कसौटी पर सदा खरा उतरेगा। इसलिठनियम का पालन करना अनिवारà¥à¤¯ हैं और यह तà¤à¥€ होगा तब जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होगा। जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° जिस दिन वह छातà¥à¤° नियम से गणित की शंका का समाधान निकलेगा उस दिन उस दिन से उसका सही उतà¥à¤¤à¤° निकलने लगेगा उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से जिस दिन हिनà¥à¤¦à¥‚ समाज वेद रूपी ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤¯ नियम का , ईशà¥à¤µà¤°à¥€à¤¯ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ का पालन करने लगेगा उसी दिन से हिनà¥à¤¦à¥‚ समाज अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ को छोड़कर सतà¥à¤¯ मारà¥à¤— का पथिक बन जायेगा। जिसका जैसा मन किया उसने वैसे ईशà¥à¤µà¤° की कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ करी, जिसका जैसा मन किया उसने वैसे ईशà¥à¤µà¤° की पूजा करने की विधि की कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ करी,जिसका जैसा मन किया उसने वैसे ईशà¥à¤µà¤° पूजा के फल की कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ करी और सà¤à¥€ कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾à¤“ं को आसà¥à¤¥à¤¾ के कपड़े पहनाकर उसे सनातन नाम देकर अपना उलà¥à¤²à¥‚ सिदà¥à¤§ किया। अगर यही सनातन धरà¥à¤® हैं तो फिर उसे अनà¥à¤§à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ का पà¥à¤°à¤¾à¤¯: कहना कोई अतिशà¥à¤¯à¥‹à¤•à¥à¤¤à¤¿ नहीं हैं। ऋषियों की पवितà¥à¤° वेद वाणी को मानने से ही हिनà¥à¤¦à¥‚ समाज का हित हैं नाकि उसे मानने वाले आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œà¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का विरोध करने में हैं। फिर à¤à¥€ अगर कोई विरोध करे तो उसे à¤à¤• ही बात कहना चाहता हूठकि "आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ वह वृकà¥à¤· की डाल हैं जिस पर बैठसनातनी हिनà¥à¤¦à¥‚ उसे ही काटने की बात कर रहा हैं"।
शंका 2- हिनà¥à¤¦à¥‚ समाज ने कà¤à¥€ à¤à¥€ विदेश में बसे गैर हिनà¥à¤¦à¥‚ पà¥à¤°à¤œà¤¾à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पर हमला कर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ जबरन हिनà¥à¤¦à¥‚ बनाने का पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ नहीं किया जबकि à¤à¤¾à¤°à¤¤ का इतिहास उठा कर देखे तो à¤à¤¾à¤°à¤¤ में बसने वाले 99% मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के पूरà¥à¤µà¤œ हिनà¥à¤¦à¥‚ थे जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ जबरन इसà¥à¤²à¤¾à¤® में दीकà¥à¤·à¤¿à¤¤ किया गया। à¤à¤¸à¤¾ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚?
समाधान- à¤à¤¾à¤°à¤¤ में बसने वाले 99% मà¥à¤¸à¤²à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के पूरà¥à¤µà¤œà¥‹à¤‚ की गरà¥à¤¦à¤¨ पर इसà¥à¤²à¤¾à¤®à¤¿à¤• तलवार रखकर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ हिनà¥à¤¦à¥‚ से मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® बनाया गया था। वैदिक विचारधारा के यथारà¥à¤¥ रूप को जानने वाला कà¤à¥€ अपने धरà¥à¤® का तà¥à¤¯à¤¾à¤— नहीं करता इसीलिठवैदिक धरà¥à¤®à¥€ कà¤à¥€ वेदों के पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° के लिठतलवार का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— नहीं करते। यह इसà¥à¤²à¤¾à¤® की कमजोरी हैं की उसे अपनी बात को मनवाने के लिठहिà¤à¤¸à¤¾ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— करना पड़ता हैं। आप इस तथà¥à¤¯ को दूसरे दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¥‹à¤£ से à¤à¥€ समठसकते हैं। इसà¥à¤²à¤¾à¤® में मजहब के मामले में शंका करने की अनà¥à¤®à¤¤à¤¿ नहीं हैं। जो शंका करता हैं उससे यही कहा जाता हैं की कà¥à¤¯à¤¾ तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ रसूल अथवा क़à¥à¤°à¤¾à¤¨ शरीफ की बातों पर विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ नहीं रहा। इसके विपरीत वैदिक धरà¥à¤® किसी à¤à¥€ सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त की à¤à¤²à¥€ à¤à¤¾à¤‚ति नाप-तोल कर, चिंतन कर, मनन कर उसे सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करने की पूरà¥à¤£ सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤°à¤¤à¤¾ देता हैं। यही कारण था की वैदिक धरà¥à¤® को मानने वाली आरà¥à¤¯ जाति के गà¥à¤£à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ से, उनकी विदà¥à¤¯à¤¾ के पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ से समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ विशà¥à¤µ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤µà¤¾à¤¨ होता था। विदेशी लोग आरà¥à¤¯à¤µà¤°à¥à¤¤ कि à¤à¥‚मि की ओर विदà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ खींचे चले आते थे। नालंदा,तकà¥à¤·à¤¶à¤¿à¤²à¤¾ आदि आधà¥à¤¨à¤¿à¤• उदहारण हैं। हमें किसी पर हमला करने, किसी से जोर जबरदसà¥à¤¤à¥€ करने की कोई आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ ही नहीं थी। à¤à¤ˆ जब किट-पतंगे दीपक जैसे सीमित पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ देने वाले पर खींचे चले आते हैं तो जà¥à¤žà¤¾à¤¨ रूपी सूरà¥à¤¯ के पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤µà¤¾à¤¨ इस आरà¥à¤¯ à¤à¥‚मि के लिठकितनी चाहत विशà¥à¤µ वासियों को होगी।
इसà¥à¤²à¤¾à¤® को मानने वालो को अपने आप पर कà¤à¥€ à¤à¤°à¥‹à¤¸à¤¾ ही नहीं था कि वे केवल विचारों के मंडन से इस देश की बौदà¥à¤§à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤—ति को पीछे छोड़ सकते हैं। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने जब देखा कि à¤à¤• लंगोट पहन कर पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° करने वाला अरà¥à¤§ नंग सनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¥€ उनके यहाठके रेशम के चोगे पहनने वाले मà¥à¤²à¥à¤²à¥‡-मौलवियों पर à¤à¤¾à¤°à¥€ हैं तो उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कोई और रासà¥à¤¤à¤¾ समठनहीं आया इसलिठतलवार ही आखिरी विकलà¥à¤ª बचा। सà¤à¥€ बà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤®à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को मार डाला, जो कà¥à¤› बचे रह गठउनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ इसà¥à¤²à¤¾à¤® में दीकà¥à¤·à¤¿à¤¤ कर दिया। बौदà¥à¤§à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤—ति का जितना नाश इस पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ में हà¥à¤† उसका अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ लगाना अतà¥à¤¯à¤‚त कठिन हैं। आज à¤à¥€ अगर कोई à¤à¥€ मà¥à¤¸à¥à¤²à¤®à¤¾à¤¨ पूरà¥à¤µà¤¾à¤—à¥à¤°à¤¹ से मà¥à¤•à¥à¤¤ होकर वैदिक सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚तों को जानने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करे तो उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ आसानी से समठमें आ जायेगा कि कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ उनके पूरà¥à¤µà¤œ कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ वैदिक धरà¥à¤®à¥€ थे और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ तलवार से अधिक जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पर कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ à¤à¤°à¥‹à¤¸à¤¾ था।
शंका 3- सनातनी और आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œà¥€ में अंतर कà¥à¤¯à¤¾ हैं?
समाधान- à¤à¤• पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ घटना से इस अंतर को समà¤à¤¨à¥‡ का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करते हैं। à¤à¤• गांव था जिसमें दो मितà¥à¤° रहते थे। राम और शà¥à¤¯à¤¾à¤®à¥¤ राम के पिता अगà¥à¤°à¤µà¤¾à¤² थे à¤à¤µà¤‚ साहूकारी का वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤° करते थे जबकि शà¥à¤¯à¤¾à¤® के पिता जाट थे à¤à¤µà¤‚ किसान का कारà¥à¤¯ करते थे। राम के पिता पौराणिक विचारों के थे जबकि शà¥à¤¯à¤¾à¤® के पिता ने सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ पà¥à¤¾ हà¥à¤† था इसलिठआरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œà¥€ थे। दोनों मितà¥à¤° आम के बाग में गठऔर कचà¥à¤šà¥‡ आम तोड़ कर खाने लगे। थोड़ी देर में पà¥à¤¯à¤¾à¤¸ लगी। बाग़ में जो माली था उसका नाम अबà¥à¤¦à¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¹ था। अबà¥à¤¦à¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¹ के घड़े का दोनों ने पानी पी लिया।जैसे ही पानी पिया दोनों ने अबà¥à¤¦à¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¹ को आते देखा। अबà¥à¤¦à¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¹ बोला आप दोनों गैर मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® हो और आप दोनों ने मà¥à¤¸à¥à¤²à¤®à¤¾à¤¨ के घड़े का पानी पिया हैं इसलिठआप दोनों अब हिनà¥à¤¦à¥‚ नहीं रहे। आप दोनों को इसà¥à¤²à¤¾à¤® की दावत देता हूà¤à¥¤ दोनों लड़के रोते पीटते घर à¤à¤¾à¤—े। दोनों को कà¥à¤› समठमें नहीं आया। अपने अपने परिवार वालो को बताया। राम के पिता सर पकड़ कर बैठगठऔर मंदिर के पंडित से समाधान पूछने गà¤à¥¤ मंदिर का पंडित पहले तो बोला जो हमारे यहाठसे गया वह वापिस नहीं आ सकता। तà¥à¤®à¥à¤¹à¤¾à¤°à¤¾ लड़का अब कà¤à¥€ हिनà¥à¤¦à¥‚ नहीं कहला सकता। पर जब राम के पिता ने बोला पंडित जी कोई तो उपाय होगा। तब मोटी असामी देख पंडित जी बोले हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° लेकर जाना पड़ेगा ,गंगा में डà¥à¤¬à¤•à¥€ लगेगी, ४० बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹à¤‚ को à¤à¥‹à¤œà¤¨ करवाना पड़ेगा , ऊपर से दान-दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¤¾ अलग लगेगी, तब कहीं जाकर पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤¶à¥à¤šà¤¿à¤¤ होगा। राम के पिता ने पूछा पंडित जी कितना खरà¥à¤š होगा। पंडित जी ने सोच विचार कर 30-40 हज़ार का खरà¥à¤š बता दिया। राम के पिता सर पकड़ कर बैठगà¤à¥¤ उधर शà¥à¤¯à¤¾à¤® अपने पिता के पास पहà¥à¤à¤šà¤¾à¥¤ उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सब बात कह सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆà¥¤ शà¥à¤¯à¤¾à¤® के पिता ने पूछा कितना पानी पिया था। शà¥à¤¯à¤¾à¤® ने बोला à¤à¤• लौटा। तà¤à¥€ शà¥à¤¯à¤¾à¤® के पिता ने दो लौटे पानी मंगवाठऔर शà¥à¤¯à¤¾à¤® को पिला दिà¤à¥¤ 10 मिनट में à¤à¤• लौटा à¤à¤° पिशाब शà¥à¤¯à¤¾à¤® को उतर गया। पिशाब उतरते ही शà¥à¤¯à¤¾à¤® के पिता ने कहा "लो निकल गया अबà¥à¤¦à¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¹ के घड़े का पानी"। अब कोई पूछे तो कह देना की अबà¥à¤¦à¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¹ के घड़े का पानी तो नाली में बह गया। अरे पानी कोई अबà¥à¤¦à¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤¹ का थोड़े ही हैं वह तो ईशà¥à¤µà¤° का दिया हà¥à¤† हैं चाहे किसी à¤à¥€ घड़े में à¤à¤° लो।
अब पाठक बताये। शà¥à¤¯à¤¾à¤® के पिता में जो यह चेतना थी, यह किसकी देन थी?
सà¤à¥€ का à¤à¤• ही उतà¥à¤¤à¤°- सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयानंद की चेतना थी।
बस सनातनी और आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œà¥€ में यही अंतर हैं।
शंका 4 -वेदों के शतà¥à¤°à¥ विशेष रूप से पà¥à¤°à¥à¤· सूकà¥à¤¤ को जातिवाद की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ का समरà¥à¤¥à¤• मानते हैं।
समाधान - पà¥à¤°à¥à¤· सूकà¥à¤¤ १६ मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ का सूकà¥à¤¤ हैं जो चारों वेदों में मामूली अंतर में मिलता हैं।
पà¥à¤°à¥à¤· सूकà¥à¤¤ जातिवाद का नहीं अपितॠवरà¥à¤£ वà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¥à¤¾ के आधारà¤à¥‚त मंतà¥à¤° हैं जिसमे “बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹à¤¸à¥à¤¯ मà¥à¤–मासीत” ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦ १०.९० में बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£, कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯, वैशà¥à¤¯ और शà¥à¤¦à¥à¤° को शरीर के मà¥à¤–, à¤à¥à¤œà¤¾, मधà¥à¤¯ à¤à¤¾à¤— और पैरों से उपमा दी गयी हैं। इस उपमा से यह सिदà¥à¤§ होता हैं की जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° शरीर के यह चारों अंग मिलकर à¤à¤• शरीर बनाते हैं, उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ आदि चारों वरà¥à¤£ मिलकर à¤à¤• समाज बनाते हैं। जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° शरीर के ये चारों अंग à¤à¤• दà¥à¤¸à¤°à¥‡ के सà¥à¤–-दà¥à¤ƒà¤– में अपना सà¥à¤–-दà¥à¤ƒà¤– अनà¥à¤à¤µ करते हैं, उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° समाज के बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ आदि चारों वरà¥à¤£à¥‹à¤‚ के लोगों को à¤à¤• दà¥à¤¸à¤°à¥‡ के सà¥à¤–-दà¥à¤ƒà¤– को अपना सà¥à¤–-दà¥à¤ƒà¤– समà¤à¤¨à¤¾ चाहिà¤à¥¤ यदि पैर में कांटा लग जाये तो मà¥à¤– से दरà¥à¤¦ की धà¥à¤µà¤¨à¤¿ निकलती हैं और हाथ सहायता के लिठपहà¥à¤à¤šà¤¤à¥‡ हैं उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° समाज में जब शà¥à¤¦à¥à¤° को कोई कठिनाई पहà¥à¤à¤šà¤¤à¥€ हैं तो बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ à¤à¥€ और कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯ à¤à¥€ उसकी सहायता के लिठआगे आये। सब वरà¥à¤£à¥‹à¤‚ में परसà¥à¤ªà¤° पूरà¥à¤£ सहानà¥à¤à¥‚ति, सहयोग और पà¥à¤°à¥‡à¤® पà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿ का बरà¥à¤¤à¤¾à¤µ होना चाहिà¤à¥¤ इस सूकà¥à¤¤ में शूदà¥à¤°à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ कहीं à¤à¥€ à¤à¥‡à¤¦ à¤à¤¾à¤µ की बात नहीं कहीं गयी हैं। कà¥à¤› अजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ लोगो ने पà¥à¤°à¥à¤· सूकà¥à¤¤ का मनमाना अरà¥à¤¥ यह किया कि बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ कà¥à¤¯à¥‚ंकि सर हैं इसलिठसबसे ऊà¤à¤šà¥‡ हैं अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ हैं à¤à¤µà¤‚ शà¥à¤¦à¥à¤° चूà¤à¤•à¤¿ पैर हैं इसलिठसबसे नीचे अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ निकृषà¥à¤Ÿ हैं। यह गलत अरà¥à¤¥ हैं कà¥à¤¯à¥‚ंकि पà¥à¤°à¥à¤·à¤¸à¥‚कà¥à¤¤ करà¥à¤® के आधार पर समाज का विà¤à¤¾à¤œà¤¨ हैं नाकि जनà¥à¤® के आधार पर ऊà¤à¤š नीच का विà¤à¤¾à¤œà¤¨ हैं।
इस सूकà¥à¤¤ का à¤à¤• और अरà¥à¤¥ इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° किया जा सकता हैं की जब कोई वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ समाज में जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के सनà¥à¤¦à¥‡à¤¶ को पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° करने में योगदान दे तो वो बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ समाज का सिर/शीश हैं, यदि कोई वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ समाज की रकà¥à¤·à¤¾ अथवा नेतृतà¥à¤µ करे तो वो कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ समाज की à¤à¥à¤œà¤¾à¤¯à¥‡ हैं, यदि कोई वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ देश को वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¾à¤°, धन आदि से समृदà¥à¤§ करे तो वो वैशà¥à¤¯ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ समाज की जंघा हैं और यदि कोई वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ गà¥à¤£à¥‹à¤‚ से रहित हैं अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ शà¥à¤¦à¥à¤° हैं तो वो इन तीनों वरà¥à¤£à¥‹à¤‚ को अपने अपने कारà¥à¤¯ करने में सहायता करे अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ इन तीनों की नींव बने,मजबूत आधार बने।
शंका 5- ९ वें वरà¥à¤· के आरमà¥à¤ में दà¥à¤µà¤¿à¤œ अपने संतानों का उपनयन करके आचारà¥à¤¯à¤•à¥à¤² में अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ जहाठपूरà¥à¤£ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ और पूरà¥à¤£ विदà¥à¤·à¥€ सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ शिकà¥à¤·à¤¾ और विदà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾à¤¨ करने वाली हो अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ वहाठलड़के और लड़कियो को à¤à¥‡à¤œ दें और शूदà¥à¤° आदि वरà¥à¤£ उपनयन किये बिना विदà¥à¤¯à¤¾à¤à¤¾à¤¸ के लिठगà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² में à¤à¥‡à¤œ दे।- सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶
यहाठपर यह शंका कि जाती हैं कि सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयानंद ने दà¥à¤µà¤¿à¤œ से बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£, कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯ और वैशà¥à¤¯ का गà¥à¤°à¤¹à¤£ किया हैं à¤à¤µà¤‚ उनके उपनयन संसà¥à¤•à¤¾à¤° करने का विधान बताया हैं à¤à¤µà¤‚ शूदà¥à¤° को उपनयन संसà¥à¤•à¤¾à¤° से वंचित रखा हैं।
समाधान- सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ में इस विषय में सबसे पहले सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयानंद की इस मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ को समठलेना अतà¥à¤¯à¤‚त महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ हैं कि सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी जनà¥à¤®à¤¨à¤¾ वरà¥à¤£ को नहीं मानते अपितॠवरà¥à¤£ के निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤£ के विषय में लिखते हैं की " यह गà¥à¤£ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ से वरà¥à¤£à¥‹à¤‚ कि वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ कनà¥à¤¯à¤¾à¤“ं की सोहलवें वरà¥à¤· और पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ की पचà¥à¤šà¥€à¤¸à¤µà¥‡à¤‚ वरà¥à¤· की परीकà¥à¤·à¤¾ में नियत करनी चाहिà¤-सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¥¤"
अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ शूदà¥à¤°à¥‹à¤‚ के घर में जनà¥à¤®à¤¾ बालक बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ à¤à¥€ हो सकता हैं, कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯ à¤à¥€ हो सकता हैं, वैशà¥à¤¯ à¤à¥€ हो सकता हैं और शूदà¥à¤° à¤à¥€ हो सकता हैं इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ के बालक बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ à¤à¥€ हो सकता हैं, कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯ à¤à¥€ हो सकता हैं, वैशà¥à¤¯ à¤à¥€ हो सकता हैं और शूदà¥à¤° à¤à¥€ हो सकता हैं। इस वरà¥à¤£ का निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤£ शिकà¥à¤·à¤¾ समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ होने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ होता हैं नाकि जनà¥à¤® गृह में माता पिता के वरà¥à¤£ के आधार पर होता हैं। आज समाज में डॉकà¥à¤Ÿà¤°,इंजीनियर आदि सà¤à¥€ शिकà¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ बनते हैं नाकि अपने माता पिता की योगà¥à¤¯à¤¤à¤¾ के आधार पर बनते हैं। जहाठतक उपनयन की बात हैं सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने अतà¥à¤¯à¤‚त वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¤¿à¤• बात करी हैं। शूदà¥à¤°à¥‹à¤‚ के यहाठपर उपनयन कà¥à¤¯à¤¾ कोई à¤à¥€ संसà¥à¤•à¤¾à¤° नहीं होता था। बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ लोग छà¥à¤†à¤›à¥‚त के चलते शूदà¥à¤°à¥‹à¤‚ के घरों में संसà¥à¤•à¤¾à¤° आदि नहीं करवाते थे। संसà¥à¤•à¤¾à¤° तो दूर शूदà¥à¤°à¥‹à¤‚ का दरà¥à¤¶à¤¨, छूना, उनके साथ à¤à¥‹à¤œà¤¨ करना आदि सब वरà¥à¤œà¤¿à¤¤ था। à¤à¤¸à¥‡ वातावरण में न शूदà¥à¤°à¥‹à¤‚ का उपनयन होता और न ही उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ शिकà¥à¤·à¤¾ मिल पाती। बिना शिकà¥à¤·à¤¾ के वे सदा शूदà¥à¤° ही बने रहते। इसलिठसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयानंद ने घर पर होने वाले संसà¥à¤•à¤¾à¤° में बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£, कà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯ और वैशà¥à¤¯ को उनके परिवार की परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° संसà¥à¤•à¤¾à¤° कर शिकà¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने का विधान लिखा और शूदà¥à¤°à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¥‹à¤¹à¤¿à¤¤ की अनà¥à¤ªà¤²à¤¬à¥à¤§à¤¤à¤¾ के चलते बिना संसà¥à¤•à¤¾à¤° के ही गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ करने का विधान बताया। गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² में आचारà¥à¤¯ सà¤à¥€ का संसà¥à¤•à¤¾à¤° कर सकता था। साथ में सà¤à¥€ को à¤à¤• समान à¤à¥‹à¤œà¤¨, वसà¥à¤¤à¥à¤° आदि देना à¤à¥€ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी हैं जोकि वैदिक सामà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ का सबसे महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ अंग हैं। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी शूदà¥à¤°à¥‹à¤‚ के उपनयन विरोधी नहीं हैं अपितॠउस काल परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में जो सबसे उतà¥à¤¤à¤® उपाय शूदà¥à¤°à¥‹à¤‚ के उतà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के लिठथा उसके हिमायती हैं।
शंका 6- शांति पाठके मंतà¥à¤° में ईशà¥à¤µà¤° से जल, पृथà¥à¤µà¥€, औषधि, वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿ आदि को शांति पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करने कि पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ करी गई हैं। शंका यह हैं कि कà¥à¤¯à¤¾ जल, पृथà¥à¤µà¥€ आदि à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ में अशांति à¤à¤°à¥€ हà¥à¤ˆ हैं?
समाधान- सतà¥à¤¯ यह हैं की जल, पृथà¥à¤µà¥€, औषधि, वनसà¥à¤ªà¤¤à¤¿ आदि सà¤à¥€ जड़ पदारà¥à¤¥ हैं। शांति या अशांति हमारे मन के मानसिक à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ का परिणाम हैं। संसार के सà¤à¥€ पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ में और मनà¥à¤·à¥à¤¯ में à¤à¥‹à¤•à¥à¤¤à¤¾ और à¤à¥‹à¤— का समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ हैं। ईशà¥à¤µà¤° पà¥à¤°à¤¦à¤¤ सà¤à¥€ à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• पदारà¥à¤¥ हमारे सà¥à¤– के लिठहैं जिनका उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ हमें लाठपहà¥à¤à¤šà¤¾à¤¨à¤¾ हैं। परनà¥à¤¤à¥ हम अपनी कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾à¤“ं से, अपनी शकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से इन पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ से सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥ सिदà¥à¤§à¤¿ करना चाहते हैं जिससे यह पदारà¥à¤¥ सà¥à¤– के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर दà¥à¤ƒà¤– के साधन बन जाते हैं। शांति पाठपà¥à¤¤à¥‡ समय हमारे मन के अंदर विशेष à¤à¤¾à¤µ आने चाहिठऔर उन à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ हमारे कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• à¤à¤µà¤‚ धारà¥à¤®à¤¿à¤• जीवन पर पड़ना चाहिà¤à¥¤ शांति पाठपà¥à¤¤à¥‡ समय हमारे मन के अंदर जीवन के वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ को इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से करने का संकलà¥à¤ª आना चाहिठजिससे हम अशांति से बच सके और शांति को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर सके। इसके लिठहमारे हृदय à¤à¤µà¤‚ मसà¥à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤• के विचार à¤à¥€ इसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के होने चाहिà¤à¥¤ शांति पाठका मà¥à¤–à¥à¤¯ उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ जगत के पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ को मालिक की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से नहीं अपितॠ"इदं न मम" अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ यह सब मेरा नहीं हैं की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से à¤à¥‹à¤—ने की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ देना हैं जिससे यह सà¤à¥€ पदारà¥à¤¥ सà¥à¤– à¤à¤µà¤‚ शांति देने वाले हो।
शंका 7-अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤° सदा पà¥à¤°à¤¾à¤¤:काल à¤à¤µà¤‚ सांयकाल संधà¥à¤¯à¤¾ के समय ही कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ किया जाता हैं?
समाधान- सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ सतà¥à¤¯à¤ªà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ जी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ लिखित पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• के आधार पर अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤° करते समय जब अगà¥à¤¨à¤¿ के लपटे बà¥à¤ जाती
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