इस आस्ट्रेलिया यात्रा में धर्म प्रचार की दृष्टि से आमन्त्रित किया गया था। इस कारण 23 मार्च 2016 को दिल्ली से सिड़नी के लिए बाय एयर रवाना हुआ, 24 मार्च की सुबह 9.30 बजे सिडनी पहुंचा।

      सिडनी में एयरपोर्ट पर श्री योगेष आर्य लेने के लिए आए थे। उनके साथ निवास स्थल पर पहुंचा, वहीं मेरे ठहरने की व्यवस्था बहुत अच्छी और स्वतन्त्र कक्ष में की गई। 25 मार्च को युवाओं के साथ चर्चा की अलग से यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इसमें सभी युवाओं (लड़कें और लड़कियों) ने भाग लिया। शेनमार्क सभा के प्रधान श्री जगदीष जी साथ में थे। इस चर्चा में अनेक प्रष्न पूछे, कुछ उपदेषात्मक चर्चा भी की।

      रात्रि 7 बजे से 9 बजे तक उपदेष का कार्यक्रम शेनमार्क आर्य समाज स्थल पर रखा गया। अच्छी उपस्थिति थी। माईक व्यवस्था ठीक थी, संगत के लिए तबले की व्यवस्था थी।

      रात्रि में 2 घण्टे से अधिक कार्यक्रम चला। कार्यक्रम में उपदेष व भजन दोनों की प्रस्तुति हुई। श्रोताओं ने बहुत पसन्द किया तथा बड़े ध्यान से सुना, बाद में लगभग प्रत्येक व्यक्ति ने आकर मुझसे भेंट की तथा कार्यक्रम को बहुत अच्छा बताते हुए अभूतपूर्व कहा। (वैसे किसी के द्वारा अपने कार्य की प्रषंसा सुनना प्रत्येक को अच्छा लगता है, इस दृष्टि से मेरे प्रयास से सामान्य जन सन्तुष्ट हैं, आनन्द ले रहे हैं यह तो ठीक लगा, किन्तु साथ ही यह दुःख हुआ कि आर्य समाज में श्रोता व वक्ताओं का स्तर कैसा हो गया। मेरे जैसे साधारण ज्ञान रखने वाले व्यक्ति को अद्भुत और अभूतपूर्व कहकर प्रषंसा करना हमारे स्तर की स्थिति को दर्षाता है। यह मन को दुःखी भी करता रहा।)

      दूसरे दिन फिर सायं 7 से 9 उपदेष व भजन हुए, तीसरे दिन रविवार था, प्रातः 10 से 12.30 तक का समय मुझे दिया गया।

      उपस्थिति प्रतिदिन की अपेक्षा और अच्छी थी, इन दिनों में भी श्रोताओं की वही भावना व्यक्त होती रही। बहुत सराहा वृद्धजनों ने आषीर्वाद देकर अत्यन्त प्रषंसा की। मुझे लगा कि मेरी योग्यता से बहुत अधिक मूल्यांकन हो रहा है। मन में विचार करता रहा कि क्या वास्तव में मेरा प्रयास ऐसा ही है क्या ? उसका स्तर ऐसा है जो सारे व्यक्ति इतना प्रसन्न हो रहे हैं, बार-बार तारीफ कर रहे हैं ? वैसे मेरे कार्यक्रमों में पहले भी सराहा किन्तु जितना सम्मान व सराहना यहां की, उसकी कल्पना भी मैंने कभी नहीं की थी। मेरे लिए उनका इतना भाव विभोर होना एक सुखद आष्चर्य था, अकल्पनीय था, साथ ही एक चिन्ता भी थी।

      किन्तु इतना लाभ अवष्य हुआ, जिससे सदस्यों में एक स्फूर्ति व चेतना का संचार हुआ, आर्य समाज के कार्य को गति मिली, यह मेरा और सभी पदाधिकारियों का मानना रहा।

      चैथा कार्यक्रम ....................... सभा द्वारा अलग से एक होल में आयोजित किया गया। इसमें आर्य समाज के सदस्यों के अतिरिक्त अन्य सनातनधर्मी भी उपस्थित हुए। यहां डेढ़ घण्टे का समय निर्धारित किया गया।

      उसी प्रकार यहां भी सभी ने इस कार्यक्रम की बहुत प्रषंसा की। कई व्यक्तियों ने पूर्व के तीन दिनों के कार्यक्रम में न आ पाने का अफसोस किया।

      इसमें आस्ट्रेलिया विष्व हिन्दू महासभा के प्रमुख डाॅ. निहालसिंह जिन्हें आस्ट्रेलिया सरकार ने एक महत्वपूर्ण सम्मानजनक पद से अभिनन्दन किया है, उन्होंने ऐसे कार्यक्रम की आवष्यकता बताते हुए प्रषंसा की एवं आगे पुनः इसी प्रकार बड़े स्तर पर आयोजन करवाने का कहा।

 

      सिडनी की इस प्रचार यात्रा में नवयुवकों की उपस्थिति, पदाधिकारियों की सक्रियता और कार्यक्रम के प्रति भावनाओं से यहां आर्य समाज को गति मिलना निष्चित है। श्री जगदीष जी, योगेषजी, बृजपालसिंहजी, प्रमोद आर्य जी और भी अनेक सहयोगी संलग्न है। पुनः बड़े स्तर पर आयोजन की रूपरेखा बनाने का निर्णय लिया है। कार्यक्रम का प्रभाव इतना था कि कुछ व्यक्ति सिडनी से काफी दूरी पर स्थित अन्य शहर ब्रिसबेन व मेलबर्न में भी कार्यक्रम सुनने के लिए पहुंचे, यह बड़ा आष्चर्य जनक रहा।

      दिनांक 1 से 3 अप्रेल का कार्यक्रम ब्रिसबेन में रखा गया था। कार्यक्रम आर्य समाज स्थल पर रखा गया। मेरे ठहरने की व्यवस्था श्री सुकरमपालसिंह जी के निवास पर की। इस परिवार ने एक परिवार के सदस्य के समान ही स्नेह व सम्मान व सुविधाएं प्रदान की, मैं उनका बहुत आभारी हूं। अब आर्य समाज के प्रति समर्पित व सक्रिय व्यक्ति हैं सबको साथ लेकर चलते हैं।

      पहला कार्यक्रम सायंकाल 6.30 से 9 बजे तक रखा गया। इसमें आर्य समाज के अतिरिक्त अन्य व्यक्ति भी सम्मिलित हुए, कार्यक्रम हुआ, पहले दिन ही सभी को बहुत अच्छा लगा। यहां तो सिडनी से भी अधिक रिस्पांस मिला। प्रत्येक श्रोता आनन्द विभोर हो रहा था। किन्तु मैं बार-बार सोचता रहा कि मैं ऐसा तो कुछ नहीं कह रहा, या गा रहा हूं जो इतना अच्छा हो जितना ये सब प्रभावित हो रहे हैं। हर व्यक्ति आता और कहता यह पहला कार्यक्रम ऐसा हो रहा है, आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ। कुछ पौराणिक बन्धू पूरे कार्यक्रम में उपस्थित हुए, यह आर्य जनों को विषेष सुखद लग रहा था। कार्यक्रम तीन दिन का था, किन्तु सदस्यों ने विचार करके उसे 5 दिन का करने का मुझसे आग्रह किया, मैंने स्वीकार किया और 1 से 5 अप्रेल तक ब्रिसबेन में कार्यक्रम हुआ। श्रोताओं में आर्य समाज के व गैर आर्य समाजी उपस्थित होते रहे, कुछ नए व्यक्ति आर्य समाज से जुड़ेगें, उनसे पृथक से चर्चा की गई।

      सारे श्रोता प्रसन्नता व एकाग्रता से सुनते रहे। प्रधान श्री जे. डी. हरिजी, राजेष जी, मूलचन्दजी, श्री सुकरमपाल जी व अनेक महिलाओं ने यहां तक कहा कि आज तक ऐसा आयोजन नहीं सुना और न कभी यहां हुआ। सभी पुनः कार्यक्रम के आयोजन की योजना बनावेगें तथा कम से कम 7 से 10 दिन देने का आग्रह किया है। कुछ व्यक्ति मेलबर्न में कार्यक्रम सुनने हेतु आने का कह रहे थे।

      निष्चित ही प्रचार प्रसार व सही निर्देषन की कमी रही है। उसी का परिणाम है छोटे से कार्यक्रम को भी इतना महत्व दिया जाता है। यह मेरे जैसे व्यक्ति के लिए कल्पना से ऊपर रहा।

मेलबर्न -

      मेलबर्न में 8 से 10 अप्रेल तक कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह कार्यक्रम 3 स्थानों पर अलग-अलग आयोजित किया गया।

      यहां के व्यक्तियों के लिए यह एक अलग प्रकार का प्रचार था। प्रायः कोई भी प्रचारक, वक्ता के रूप में या भजनों की प्रस्तुति के लिए आते रहे। मेरे द्वारा कुछ विषयों पर अपने विचार प्रस्तुत करने के पश्चात उसी से संबंधित भजनों की प्रस्तुति की जाती थी। संभवतः यही जन सामान्य को अच्छा लगा और उन्होंने इसे बहुत ही सराहा।

      कार्यक्रम में पौराणिकों की उपस्थिति भी अच्छीखासी होती थी। अपनी सैद्धांतिक चर्चा के साथ ही रामायण, गीता, महाभारत के भी उदाहरण प्रसंग अनुसार प्रस्तुत किए गए, बार-बार सत्य सनातन धर्म की चर्चा होती रही। इससे आर्य समाज के प्रति पौराणिकों का रूझान बढ़ा और 7 पौराणिक आर्य समाज से जुड़ने के लिए नाम और पता देकर गए। सनातन धर्म, रामायण मण्डल के अनेक सदस्यों ने कार्यक्रम के पश्चात भेंट कर अत्यन्त सराहना व संतुष्टता व्यक्त की। आर्य समाज के सभी सदस्य बहुत उत्साहित दिखे तथा पुनः शीघ्र ऐसा ही आयोजन करने का आग्रह किया।

      कार्यक्रम का प्रभाव इतना रहा कि सिडनी निवासी जिन्होंने सिडनी कार्यक्रम में भाग लिया वे मेलबर्न फिर कार्यक्रम में सम्मिलित होने आए।

      अपने वर्षों के अनुभव व विभिन्न प्रचार कार्यक्रमों को देखने पर इस कार्यक्रम से आस्ट्रेलिया के आर्यजनों का उत्साह और भावी योजना को एक चेतना मिली, यह प्रतीत हुआ। बार-बार भारत की ओर से प्रयास होने पर सनातनधर्मी के एक सुदृढ़ संगठन का निर्माण हो सकता है।

ALL COMMENTS (0)