52nd Varshik Mahotsav

16 Oct 2022
India
शरी गर विरजानंद गरकल महाविधालय

इस वर्ष गुरुकुल करतारपुर का 52 वाँ वार्षिकोत्सव 10 अक्टूबर से 16 अक्टूबर  2022 तक बड़े ही हर्षोल्लास एवं उत्साह पूर्वक आर्य समाज के प्रसिद्ध ब्रह्मा आचार्य श्री विष्णुमित्र वेदार्थी जी की ब्रह्मत्व में  मनाया गया । इस अवसर पर आर्य प्रतिनिधि सभा पंजाब के भजनोपदेशक पं. जगत वर्मा ने अपने सुमधुर भजनो एवं आचार्य श्री विष्णुमित्र वेदार्थी ने अपने प्रभावशाली प्रवचनों से मुर्धन्य श्रोताओं पर अमृत की वर्षा लगातार 7 दिनों तक करते रहें । गुरुकुल करतारपुर के ब्रह्मचारी वेदव्यास, सौरभ आर्य, सत्यदीप आर्य, आनन्द आर्य, गौरव आर्य,  अमित कुमार इत्यादि ब्रह्मचारियों के द्वारा ऋग्वेदमन्त्रों से 16 अक्टूबर 2022 को 51 कुण्डीय यज्ञ का आयोजन करके पूर्ण आहूति की,  जिसके ब्रह्मा आचार्य पुनीत शास्त्री जी ने यज्ञ की महीमा को बताते  हुए कहा “यज्ञौ  वै श्रेष्ठतमं कर्म”। इस शुभ अवसर पर मुख्य यजमान के रूप में प्रसिद्ध उद्योगपति एवं समाजसेवी  श्री सिद्धान्त सहगल, श्री रोहित अग्रवाल, गुरुकुल के प्रधान श्री ध्रुव कुमार मित्तल जी, श्रीमती सुशीला भगत जी, श्रीमती निरू जी, मन्त्री रणजीत आर्य जी, प्रि. प्रदीप भण्डारी जी इत्यादि गणमान्य महानुभाव ने सप्तदिवसीय यज्ञ की पूर्ण आहुति प्रदान की । इस अवसर पर गुरुकुल के शुभ चिन्तक एवं प्रसिद्ध आर्य भजनोपदेशक श्री राजेश अमर प्रेमी जी ने अपने मधुर ध्वनि से यज्ञ प्रार्थना तथा भजनों के द्वारा अमृत की वर्षा की, आप सभी को बताते हुये  हर्ष हो रहा है कि गुरुकुल करतारपुर के  सप्तदिवसीय वार्षिक उत्सव  में विभिन्न प्रतियोगिताओं एवं विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया जिसमे 10 अक्टूबर से 14 अक्टूबर 2022  तक क्रमश: वैदिक प्रश्नोत्तरी, संस्कृत सुलेख, संस्कृत गीतगान, वैदिक भाषण एवं वैदिक भजन प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया । इनमें न  केवल गुरुकुल के ब्रह्मचारी अपितु जालन्धर, नवाशहर, फगवाड़ा तथा कपूरथला इत्यादि  लगभग 20-25 विद्यालय तथा महाविद्यालय के विद्यार्थियों ने भाग ग्रहण कर के वैदिक ज्ञान को तथा आर्य समाज के सिद्धान्तों को एवं आर्य समाज के महापुरुषों को जाना तथा उसको अपने जिवन में आत्मसात करने का संकल्प लिया । योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः की भावना को ध्यान में रखते हुए गुरुकुल करतारपुर ने इस महोत्सव में सप्तदिवसीय योग  शिविर का आयोजन किया जिसमे न केवल सुयोग्य विद्यार्थी अपितु योग के अभिलाशी स्थानीय लोगों ने भी इस में भाग ग्रहण किया ।  योगाचार्य श्री संतोष कुमार ने  योग के महत्व को बताते हुए हमेशा कहा करते थे कि करोगे योग रहोगे निरोग । उन्होंने योग शिविरार्थियों को बताते हुए यह भी कहा कि  “योगः कर्मसु कौशलम्’। 15 अक्टूबर 2022 को ध्वानारोहण किया गया जिसमें समस्त आर्यों ने आर्य समाज की एकता एवं अखंडता का पालन करने का संकल्प लिया । गुरुकुल करतारपुर के ब्रह्मचारी गौतम आर्य एवं हितांश आर्य ने वैदिक घनपाठ के द्वारा गुरुकुल महासम्मेलन का आगाज किया जिसमें अध्यक्ष आर्य जगत के प्रसिद्ध एवं नैष्ठिक   ब्रह्मचारी आर्य नरेश जी ने  गुरुकुलीय शिक्षा से प्राप्त संस्कार एवं चौमुखी विकास के  विषय  बताते हुए कहा कि हमें अपने बच्चों पर हमेशा नज़र रखनी चाहिए तथा उन्हें कुचेष्टा से बचाते हुए ब्रह्मचर्य पालन करने का उपदेश देना चाहिए तथा मुख्य वक्ता आर्य समाज के सुप्रसिद्ध वैदिक प्रवक्ता एवं दर्शन के मर्मज्ञ विद्वान आचार्य  सानन्द जी  ने बताया की यदि विरजानन्द  न होते तो स्वामी दयानन्द  न होते और यदि दयानन्द न होते तो स्वामी श्रद्धानन्द न होते । स्वामी श्रद्धानन्द  ने गुरुकुल  की स्थापना की तथा ये गुरुकुल ही ऐसा केन्द्र है जहाँ वेदों का अध्ययन एवं वैदिक संस्कृति का आचार एवं विचार किया जाता है। तदन्तर गुरुकुल करतारपुर का 8वाँ स्नातक सम्मेलन का  आयोजन किया  गया ।  मुख्य अतिथि  प्रधान आर्य  प्रतिनिधि सभा हरियाणा प्रदेश श्री कन्हैया लाल जी आर्य हिन्दी भाषा को राष्ट्रीय  भाषा बनाये रखने के लिए तथा संस्कृत भाषा को बढ़ावा  देने के लिए आगामी 2023 के भाषाजनगणना में हिन्दी भाषा को  प्रथम- तथा द्वितीय भाषा संस्कृत को मत देने के लिए उपस्थित आर्य सदन से आग्रह किया ।  इस सम्मेलन में विभिन्न गणमान्य आर्य महानुभाव उपस्थित हुए स्नातक मंडल के प्रधान श्री  नरेन्द्र  गाँधी, मन्त्री डॉ.  विश्वजीत विद्यालंकार  वक्ता. दीपेन्द्र किशोर आर्य, एवं  प्रोफेसर नरेश  कुमार धीमान् ने स्नातकों  का मार्गदर्शन एवं इस कार्य की प्रशंसा की ।  गुरुकुल के प्रधान ध्रुव  कुमार मित्तल ने स्नातक मण्डल गुरुकुल करतारपुर का धन्यवाद एवं आशिर्वाद ज्ञापन किया। ऋग्वेद यज्ञ की पूर्णाहुति एवं 51 हवन कुण्डीय यज्ञ का आयोजन 16 अक्टूबर 2022 दिन रविवार को किया गया । इसके उपरान्त  गुरु विरजानन्द सम्मेलन का आयोजन  किया गया । आर्य समाज के सुप्रसिद्ध भजनोपदेशक श्री राजेश अमर प्रेमी जी ने अपने मधुर भजनों से सभा को भावविभोर कर दिया । जिसमें आर्य प्रतिनिधि सभा पञ्जाब के यशस्वी प्रधान श्री सुदर्शन शर्मा ने गुरुकुल के प्रधान ध्रुव कुमार मित्तल तथा आचार्य डॉ. उदयन आर्य को गुरुकुल में आमन्त्रित करने पर धन्यवाद ज्ञापित करते हुए  गुरुकुल को उन्नति की ओर ले जाने के लिए अपनी तरफ से 1 लाख तथा सभा  की तरफ से 1 लाख की  दान राशी गुरुकुल करतारपुर को  दिया तथा आर्य समाज के लोगों को एक साथ संगठित एवं साथ चलने की  भावना को बताते हुए कहा कि “संगच्छध्वं संवदध्वं”  से ही हमारे संगठन का विकास तथा प्रसार होगा । इस अवसर  पर गुरुकुल करतारपुर के  आचार्य एवं वैदिक युवा प्रवक्ता श्री डॉ. उदयन आर्य ने आर्य समाज के आन बान शान एवं आर्य समाज की रीढ़ आर्य वीर दल  को बढ़ाने के लिए कहा कि हमें सर्वप्रथम अपने  आर्य समाजों में सरल एवं लघु आर्य वीर दल शिविरों का आयोजन करना पड़ेगा आर्य वीरों को सिखाने के पश्चात चयनित एवं निश्चित आर्य वीरों को प्रान्तीय आर्य वीर दल शिविरों में भेजेगें जिससे हमारे आर्य वीरों का संख्या बढ़ेगी । आर्य ने ये भी कहा कि हमें अपने भवनों के निर्माण, सजावट इत्यादि पर अधिक व्यय न करके अपने आर्य साहित्य सत्यार्थ प्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्य भूमिका, उपनिषद्, इत्यादि वैदिक ग्रन्थों  पर अपने धन का अधिक व्यय करना होगा । आर्य ने आर्य प्रतिनिधि सभा पंजाब को अपील करते हुए कहा कि हमें अपने संगठन तथा पुरोहितों को बढ़ाने के लिए पुरोहित प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन करना  पड़ेगा और इस कार्य के लिए गुरुकुल करतारपुर  सदैव तन मन धन से तैयार रहेगा तथा  कार्यशाला कि दिनचर्या, पाठ्यक्रम, निश्चित तैयार करेगा । इस अवसर पर वक्ता  श्री  आचार्य पुनित शास्त्री जी ने बाताया की अंग्रेज़ी हमारे ऊपर  थोपा नहीं गया बल्कि हमलोगों ने अंग्रेजों से माँगा है जिससे हमारे अन्दर उनके विचारों तथा स्वाभावों का प्रभाव हुआ है। अगर हमें इन सब  से बचना है तो हमें अग्रेंजी को छोड़कर  वैदिक गुरुकुल परम्परा, सनातन संस्कार तथा हिन्दी को अपनाना पड़ेगा । इस शुभ अवसर पर आर्य जगत के प्रसिद्ध भजनोपदेशक पण्डित श्री जगत वर्मा ने अपने सुमधुर गायन कला के द्वारा मधुर भजनों की प्रस्तुति देते हुए  गाया “गुरु देव प्रतिज्ञा है मेरी पूरी करके दिखला दूँगा इस वैदिक धर्म की वेदी पर मैं जीवन भेंट चढ़ा दूँगा” इत्यादि भक्ति रसमयी भजनों के द्वारा आर्य महानुभावों के मन को आहलादित किया । आर्य प्रतिनिधि सभा पञ्जाब के मन्त्री श्री प्रेम भारद्वाज ने श्री गुरुविरजानन्द, यादगार भवन का शीघ्र निर्माण हेतू तथा पञ्जाब प्रान्त  के समस्त संग्रहालयों  में आर्य समाज का योगदान, देश आजा़दी में आर्य समाज की भूमिका तथा उनके  महत्व को संग्रहित करवाने का संकल्प लिया । इस महोत्सव में गुरुकुल के ब्रह्मचारियों ने अपने अप्रतिम शौर्य को प्रदर्शित करते हुए योगासन के स्तूपों से आर्य सदन को रोमान्चित तथा योगासन के प्रति रूचि को उत्पन्न किया  । तथा योगासन के छात्र नेता ब्रह्मचारी बलराम जी ने योगासन के अनेक लाभों तथा प्रभावों को बताया जिससे आर्य महानुभावों ने प्रभावित होकर ब्रह्मचारियों को हृदय से प्रोत्साहित किया । अन्त में गुरुकुल के प्रधान ध्रुव कुमार मित्तल ने  समस्त आगन्तुक महानुभावों एवं दान दाताओं  का धन्यवाद ज्ञापित  करते हुए कहा कि  यह गुरुकुल आपके सहयोग से ही चलता है तथा आप इसके सहयोग के लिए सदैव तत्पर रहते हैं तथा उन्होंने आर्य प्रतिनिधि सभा के यशस्वी प्रधान श्री सुदर्शन शर्मा जी के आगमन पर अपने पिता जी के संस्मरणों को याद करते हुए कहा कि जब उनके पिता स्व. श्री चतुर्भुज मित्तल जी इस गुरुकुल के प्रधान थे तो उस समय  स्व. हरिवंशलाल शर्मा  जी का सानिध्य गुरुकुल को प्राप्त होता था मुझे लगता है कि वही सानिध्य उनके सुपुत्र श्री सुदर्शन शर्मा जी के गुरुकुल में पधारने पर प्राप्त हो रहा है । इस महोत्सव पर विशेष रूप से गुरुकुल के अधिष्ठाता श्री सुखदेव राज जी, आर्य समाज भगत सिंह नगर के  प्रधान श्री रणजीत आर्य, आर्य समाज मॉडल टाऊन के प्रधान अरविन्द्र घई, गुरुकल के महामंत्री प्रोफेसर नरेश कुमार धीमान्, कोषाध्क्ष ओमप्रकाश अग्रवाल, मंत्री राकेश अग्रवाल, उपप्रधान कुन्दनलाल आर्य, प्रधाना श्रीमती सुशीला भगत, श्री कमल आर्य जी, उपप्रधान श्री कैलाश अग्रवाल जी, श्रीमती सीता टण्ड जी, प्रि. दोआबा कॉलेज प्रदीप भण्डारी जी, आदित्य प्रेमी जी, अशोक परूथी जी रजिस्ट्रार आर्य प्रतिनिधि सभा, सुदेस मित्तल, गुरुकुल के अध्यापक वीरेन्द्र जी, जितेन्द्र जी, जीवन जी, कमलदीप जी, शुभम जी, पंकज जी, प्रवीण जी, गौरव जी, शलील जी, सुरेन्द्र मोहन जी, सुरेश जी  तथा अन्य आर्य  गणमान्य महानुभाव उपस्थित रहें ।

 

139th Rishi Nirvan Diwas

31st Varshikotsav