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लाहौर-पाकिस्तान-महत्व-डॉ. रहीम खाँ की कोठी पर महर्षि दयानन्द का निवास
: Pakistan, Punjab, Lahore

लाहौर-पाकिस्तान-महत्व-डॉ. रहीम खाँ की कोठी पर महर्षि दयानन्द का निवास

     महर्षि दयानन्द सरस्वती जी महाराज सर्वप्रथम ब्रह्मसमाजियों के निमन्त्रण पर लाहौर गये और वहां स्वामी जी के प्रवचन आदि हुए तथा महर्षि की सत्य बातें ब्रह्मसमाजियों को हजम नहीं हो सकी तो उन्होंने महर्षि का सहयोग करने से मना कर दिया तथा भोजन व निवास से भी वंचित कर दिया। तब यह स्थिति देख पौराणिक साधु ऋषि को अपने मठ-मन्दिर पे लेकर गया। महर्षि तो वेद और ईश्वरीय सत्य ज्ञान के प्रचारक थे। उन्होंने सत्य-सत्य कहना आरम्भ किया और पाखण्ड, मूर्तिपूजा आदि का खण्डन, करना शुरू दिया, यह देखकर उस साधु ने भी महाराज को हाथ जोड़ लिए और निवेदन किया कि आप स्थान कहीं और देखो। ऐसी स्थिति में डॉ. रहीम खाँ ने महर्षि को अपनी कोठी पर रखा और सारी सुविधायें उपलब्ध की। इसी दौरान महाराज जी के प्रवचन होने लगे और महाराज जी ने कुरान का खण्डन कर दिया, लेकिन रहीम खाँ ने महर्षि के सत्य और निःपक्ष-न्योयोचित कथन को स्वीकार किया। कई मुस्लिमों ने रहीम खाँ को महर्षि को घर (कोठी) से हटाने को कहा, लेकिन उन्होंने उनकी बात को अस्वीकार किया। जब महर्षि ने कहा आपके अपने नाराज हो जायेंगे तो डॉ. रहीम खाँ ने कहा कि मेरे अपने तो वे है जो अकल की बात करते है, ये मेरे अपने नहीं है। धन्य थे रहीम खाँ, जिन्होंने एक सत्यवादी संन्यासी को आश्रय दिया। और डॉ. रहीम खाँ भी आर्य समाज के सभा सदस्य बने।