
19th Varshikotsav

11 Sep 2022
India
आरय समाज पंचकला सेकटर-20
वेद के दिव्य संदेश "कृण्वन्तो विश्वमार्य्यम्" अर्थात् सारे संसार को श्रेष्ठ बनाने के महर्षि दयानंद सरस्वती के दिव्य संकल्प को वेद विद्या के प्रचार प्रसार द्वारा पूर्ण करने को कटिबद्ध पंचकूला की "द गुरुकुल आर्यसमाज सैक्टर- 20 पंचकूला" का त्रि दिवसीय वेद प्रचार का 19वां वार्षिकोत्सव (9 सितम्बर से 11 सितम्बर 2022) तक बड़े धूमधाम व श्रद्धा के साथ यहाँ की स्थानीय आर्य्समाजों के सहयोग से मनाया जा रहा है पहले सत्र में श्री विद्या व्रत जी, श्रीमती उर्मिला सैनी जी श्री राकेश भाटिया जी, श्रीमती शकुंतला मित्तल, श्रीमती राजकुमारी जी, श्री साधु राम जी और श्रीमती प्रभा शर्मा जी यजमान बने, दूसरे सत्र में योगीन्दर क्वात्रा श्रीमती कुसुम क्वात्रा जी, श्री दविंदर लेखी जी, श्रीमती सुमन लेखी जी, श्री ओम प्रकाश गूगलानी जी, श्रीमती विना गूगलानी जी, श्री मुकेश जी अपनी पत्नी और बच्चों के साथ यजमान बने, जिसमें आर्य जगत के मूर्धन्य वैदिक विद्वान आचार्य आनंद पुरुषार्थी (होशंगाबाद) और सुप्रसिद्ध भजनोपदेशक पं० अजय आर्य (मेरठ) से पधारे हुए हैं | आचार्य श्री पुरुषार्थी जी ने अपने वेदाधारित उद्बोधनों के माध्यम से उपस्थित श्रोताओं को प्रेरित किया कि यदि आप वास्तव में ऋषि कार्य को आगे ले जाना चाहते हो तो सर्वप्रथम अपने जीवन को व्यवस्थित करो | जिनका स्वयं का जीवन अनुशासित व व्यवस्थित नहीं होता वे अपने जीवन में अपने किसी भी संकल्प को पूर्ण करने में सफल नहीं हो पाते | उन्होंने यह भी बताया कि मनुष्य यदि श्रेष्ठ मानव बनना चाहता है तो उसे चाहिए कि वह अपने जीवन में श्रेष्ठ लोगों का संग करे क्योंकि यह एक सैद्धांतिक सत्य है कि मनुष्य जैसे लोगों के मध्य उठता बैठता है वैसा ही हो जाता है. मनुष्य या तो अन्यों के आचरण से प्रभावित होगा या उन्हें अपने आचरण व व्यवहार से प्रभावित करेगा. इसलिए बुरे लोगों के संग से बचें और श्रेष्ठ लोगों का ही जीवन में संग करें. आचार्य जी ने एक बात पर विशेष जोर दिया कि हम यदि अपने जीवन में सुख प्राप्त करना चाहते हैं तो स्वयं को सुभगः बनाएं अर्थात आपके जीवन में जो धन आए वह आपके पवित्र व्यवसाय में से आपकी पवित्र कमाई से ही प्राप्त किया हुआ हो. यदि ऐसा नहीं हुआ तो अनैतिक तरीकों से प्राप्त किया हुआ धन आपके, आपके परिवार, समाज व राष्ट्र के विनाश का कारण बनेगा इसमें किसी को कोई संदेह नहीं होना चाहिये |भजनोपदेशक पं० अजय आर्य जी द्वारा गाए गए प्रेरणादायी सुमधुर भजनों ने सभी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया | उन्होंने विशेषरूप से वहां उपस्थित गुरुकुल के बच्चों को चरित्र निर्माण के महत्त्व के बारे बताया तथा नित्य प्रति गायत्री का जाप करके अपनी बुद्धि को पवित्र बनाने की बात कही | कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित न्यायमूर्ति प्रीतम पाल (पूर्व जस्टिस पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट) व पूर्व लोकायुक्त हरियाणा ने अपने उद्बोधन में सभी को ऋषियों द्वारा दर्शाए गए आर्य-पथ पर चलने के लिए प्रेरित किया व गुरुकुल में गुरुकुल के सहयोग से चल रहे समाज के आर्थिक रूप से असमर्थ परिवारों के बच्चों को विभिन्न प्रतियोगिताओं में जिन्होंने प्रथम, द्वितीय व तृतीय श्रेणी को प्राप्त किया, उन्हें पारितोषिक देकर उत्साहित व सम्मानित किया | कार्यक्रम में गणमान्य अतिथि के रूप में आमंत्रित आर्यसमाज सेक्टर 9 पंचकूला के प्रधान आदरणीय श्री धर्मवीर बतरा जी व आर्यसमाज सेक्टर 12 के प्रधान आदरणीय डा रमेश चन्द्र बावा जी ने अपनी गरिमामय उपस्थिति से कार्यक्रम को सुशोभित किया. | कार्यक्रम के अंतिम दिन रविवार को आचार्य श्री आनंद पुरुषार्थी के ब्रह्मत्व में और पं० परमेश्वर शास्त्री - पं० रामप्रसाद शास्त्री के पौरोहित्य में नित्यप्रति किये गए प्रातः व सायंकालीन यज्ञ की भांति 21 कुण्डीय विशेष यज्ञ का आयोजन भी किया गया | जिसमें स्थानीय परिवारों ने यजमान बनकर अपने जीवन में धर्म लाभ कमाया | यह आर्यसमाज अपनी वयोवृद्ध संरक्षिका श्रीमती कमलेश थरेजा, डा. रजनी थरेजा की अध्यक्षता, में वर्तमान मंत्री पद पर सुशोभित श्री योगिन्द्र क्वात्रा जी, श्रीमान विद्याव्रत पिपली (कोषाध्यक्ष) आदि समस्त पदाधिकारियों एवं समस्त सदस्य गणों के अनथक पुरुषार्थ व सहयोग से दिन प्रतिदिन उन्नति की ओर अग्रसर हो रहा है |