
Haridwar
“हरिदà¥à¤µà¤¾à¤°–कà¥à¤®à¥à¤ का मेला, पाखणà¥à¤¡ खणà¥à¤¡à¤¨à¥€ पताका”
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सà¥à¤¥à¤² – मोहन आशà¥à¤°à¤®
माघ सं. 1935 वैशाख सं. 1936- जनवरी 1879 से अपà¥à¤°à¥ˆà¤² 1879 हरिदà¥à¤µà¤¾à¤°
समà¥à¤µà¤¤à¥ 1936 विकà¥à¤°à¤®à¥€ कà¥à¤®à¥à¤ पर सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी महाराज ने पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° करने का मन बना लिया था। माघ बदी 30 समà¥à¤µà¤¤à¥ 1935 अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ 22 जनवरी सन 1879 को कई सहसà¥à¤¤à¥à¤° पà¥à¤°à¤¤à¤¿ à¤à¤• विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨ की मेरठमें छपवाई। हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° में ठहरने का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ कर चà¥à¤•े थे। सब पà¥à¤°à¤¬à¤¨à¥à¤§ करके सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ महाराज ने हरिदà¥à¤µà¤¾à¤° के लिठपà¥à¤°à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤¨ किया। फालà¥à¤—à¥à¤¨ कृषà¥à¤£à¤¾ 14 अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ 20 फरवरी 1879 को जà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¾à¤ªà¥à¤° पहà¥à¤à¤šà¥‡ और मूला मिसà¥à¤¤à¤°à¥€ के उदà¥à¤¯à¤¾à¤¨-गृह में आसन लगाया। सà¤à¥€ मारà¥à¤—ो, मनà¥à¤¦à¤¿à¤°à¥‹à¤‚, घाटों और पà¥à¤²à¥‹à¤‚ पर विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨ लगवा दिये और सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ का पता à¤à¥€ लिख दिया -
1. अठारह पà¥à¤°à¤¾à¤£
2. मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा
3. शैव, शाकà¥à¤¤, रामानà¥à¤œ आदि समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯
4. तबà¥à¤¤à¥à¤° –गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥, वाममारà¥à¤— आदि
5. à¤à¤‚ग, शराब आदि नशे की चीजें
6. पर-सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ गमन
7. चोरी
8. छल-कपट, अà¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨, à¤à¥‚ठआदि
सà¤à¥€ बà¥à¤°à¤¾à¤‡à¤¯à¥‹à¤‚ का खणà¥à¤¡à¤¨ करने लगे। वरà¥à¤£-आशà¥à¤°à¤®, वेद-पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨, वेद पà¥à¤¨à¥‡ का अधिकार मानव मातà¥à¤° को आदि बातों का समरà¥à¤¥à¤¨ करते थे। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने इस अवसर पर हजारों लोगों को सतà¥à¤¯à¥‹à¤ªà¤¦à¥‡à¤¶ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ किया।
अनेक शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ किये, अनेको को वैदिक धरà¥à¤® में दीकà¥à¤·à¤¿à¤¤ किया। इस अवसर पर महाराज के कà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿à¤•ारी धारà¥à¤®à¤¿à¤•, सामाजिक विचारों से हिनà¥à¤¦à¥‚, जैन, सिकà¥à¤–, ईसाई, मà¥à¤¸à¥à¤²à¤¿à¤® आदि सà¤à¥€ बहà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हà¥à¤ और चारों ओर सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ महाराज की कीरà¥à¤¤à¤¿ पताका लहराने लगी। सैकड़ो ने मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚, कंठिया जल में पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ कर दी।