Udaipur

रहीम खाँ की कोठी पर महर्षि दयानन्द का निवास
: India, Rajasthan, Udaipur

नवलखा महल उदयपुर-राजस्थान

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महत्व : सत्यार्थ प्रकाश की रचना, साढे छः मास तक ऋषि का निवास, स्वीकार पत्र भी यहीं बनाया था।

19वीं सदी में बना नवलखा महल, कभी मेवाड़ के तत्त्कालीन शासक महाराणा सज्जन सिंह का मुख्य राजकीय अतिथि गृह हुआ करता था। महाराणा सज्जन सिंह के नास्तिक जीवन में सत्यार्थ प्रकाश पढ़कर तथा महर्षि के दर्शन चितौड़ में करने के बाद विशेष श्रद्धा-भक्ति और महर्षि का सानिध्य प्राप्त करके ज्ञान-विशेष प्राप्ति हेतु, उन्होंने महर्षि को उदयपुर पधारने का निमंत्रण दिया।

11 अगस्त 1882 को महर्षि दयानन्द सरस्वती जी महाराणा के निमंत्रण अनुसार सकुशल उदयपुर पहुँच गये। महाराणा ने समारोह पूर्ण स्वागत किया। उस समय महर्षि दयानन्द सरस्वती के निवास की व्यवस्था इस नवलखा महल में की गयी। 10 अगस्त 1882 से 27 फरवरी 1883 तक महर्षि नवलखा महल उदयपुर में ठहरे।

प्रतिदिन प्रवचन, शंका-समाधा, वेदभाव्य, योग-ध्यान, शास्त्रार्थ और महाराणा सज्जनसिंह को विशेष शिक्षा भी प्रदान किया करते थे। इसी महल में सत्यार्थ प्रकाश सम्बन्धित कुछ अवशिष्ट कार्य भी किया और अपना स्वीकार पत्र भी बनवाकर अपनी उत्तराधिकारिणी सभा परोपकारिणी का गठन करके सारी वस्तुएं तथा अधिकार सभा के नाम किया। लगभग साढ़े छः मास तक महर्षि नवलखा महल में ठहरे थे।

देश आजाद होने पर जब राजे-रजवाड़ों की सम्पत्तियां सरकारी कब्जे में चली गयी, तब नवलखा महल भी सरकारी सम्पत्ति होने के कारण, इस महल में आबकारी विभाग और सेल्स टैक्स के कार्यालय खोल दिये गये। 1982 में सत्यार्थ-प्रकाश की रचना के 100 वर्ष पूर्ण के उपलक्ष में सत्यार्थप्रकाश सम्मेलन हुआ।

उस समय आर्य समाजियों ने सरकार से यह महल श्रीमद् दयानन्द सत्यार्थप्रकाश न्यास उदयपुर को देने की मांग की। आर्यों की सतत साधन व प्रयास के कारण 1992 में तत्कालीन मुख्यमन्त्री भैरोसिंह शेखावत ने नवलखा महल सत्यार्थ प्रकाश न्यास उदयपुर को सौंप दिया। उसके बाद पुराने भवन के उद्धार हेतु विशेष प्रयास किया गया तथा नये भवन और यज्ञशाला आदि का निर्माण भी करवाया गया।

वर्तमान समय में प्रतिवर्ष अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का सत्यार्थ प्रकाश सम्बंधित कार्य होते है, वार्षिक उत्सव-फरवरी में, सत्संग, यज्ञ और उदयपुर शहर व आस-पास के क्षेत्रों में वैदिक धर्म, सत्यार्थप्रकाश आदि का विशेष प्रचार-प्रसार आदि कार्यक्रम होते है। मासिक पत्रिका का प्रकाशन। पुराने भवन में श्रीमद् दयानन्द सरस्वती की चित्रावली आदि भी लगा रखी है।

नवलखा महल-गुलाबबाग-उदयपुर शहर के ठीक मध्य में स्थिति है। बहुत आकर्षक और सौन्दर्य पूर्ण गुलाब बाग के स्वामित्व श्रीमद् दयानन्द सत्यार्थप्रकाश न्यास उदयपुर के पास सुरक्षित है।

आज तक-जितनी भाषाओं में सत्यार्थ प्रकाश आजतक-जितनी भाषाओं में सत्यार्थ प्रकाश प्रकाशित हुए हैं न्यास उदयपुर के पास सुरक्षित है।