
Shahpura
महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी का आगमन शाहपà¥à¤°à¤¾-राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में
महतà¥à¤µ- सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दीरà¥à¤˜à¤•ाल तक शाहपà¥à¤°à¤¾ में रहे, राजा को शिकà¥à¤·à¤¾ दी, मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿, योग दरà¥à¤¶à¤¨ आदि पà¥à¤¾à¤¯à¥‡ और राजा सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के अननà¥à¤¯ à¤à¤•à¥à¤¤à¥‹à¤‚ में से थे। जब राजाधिराज सर नाहरसिंह को यह सूचना मिली कि महाराज उदयपà¥à¤° से विदा होकर चितौड़ में विराजमान हैं तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने तà¥à¤°à¤¨à¥à¤¤ अपने विशà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤ करà¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी को लाने à¤à¥‡à¤œà¤¾ और लिखित पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ पतà¥à¤° à¤à¥€ शà¥à¤°à¥€ सेवा में पà¥à¤°à¥‡à¤·à¤¿à¤¤ किया। पूरà¥à¤µ सà¥à¤µà¥€à¤•ृति अनà¥à¤¸à¤¾à¤° तथा राजाधिराज की à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ और पà¥à¤°à¥‡à¤® के कारण सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी उनके करà¥à¤®à¤šà¤¾à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के साथ शाहपà¥à¤°à¤¾ के लिठचल पड़े। फालà¥à¤—à¥à¤¨ कृषà¥à¤£à¤¾ 14 संवतॠ1936 अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ 09 मारà¥à¤š 1883 को सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी महाराज शाहपà¥à¤°à¤¾ पहà¥à¤à¤š गये। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के निवास का पà¥à¤°à¤¬à¤¨à¥à¤§ राजकीय बाग में था, वहीं डेरे आदि लगवा दिये और सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ वहीं ठहरे।
सायंकाल को ही राजाधिराज à¤à¥€ परिषदà¥à¤µà¤°à¥à¤— सहित शà¥à¤°à¥€ सेवा में उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हà¥à¤à¥¤ उस दिन दो घणà¥à¤Ÿà¥‡ तक सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी और महाराजधिराज का पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤¾à¤²à¤¾à¤ª चला। पांच दिनों तक वातà¥à¤°à¥à¤¤à¤¾à¤²à¤¾à¤ª होता रहा। फिर निशà¥à¤šà¤¯ हà¥à¤† कि राजाधिराज सायं 6ः00 बजे से रातà¥à¤°à¤¿ 9ः00 बजे तक शà¥à¤°à¥€à¤¸à¥‡à¤µà¤¾ में उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ रहेगे। जिसमें à¤à¤• घणà¥à¤Ÿà¥‡ तक धरà¥à¤®à¤µà¤¿à¤·à¤¯ पर पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤° और दो घणà¥à¤Ÿà¥‡ पà¥à¤¨à¤¾ होगा। इस पà¥à¤°à¤•ार राजाधिराज ने शà¥à¤°à¥€ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ से मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿, पातंजल योगदरà¥à¤¶à¤¨, वैशेषिक दरà¥à¤¶à¤¨ का कà¥à¤› à¤à¤¾à¤— पà¥à¤¾à¥¤ शाहपà¥à¤°à¤¾ में सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨, वेदà¤à¤¾à¤µà¥à¤¯, शंकसमाधान, शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ आदि अनà¥à¤¯ समाज सà¥à¤§à¤¾à¤° के कारà¥à¤¯ à¤à¥€ चलते रहे।
सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के उपदेश से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ होकर महाराजा ने महलों में à¤à¤• यजà¥à¤žà¤¶à¤¾à¤²à¤¾ बनवाई, जिसमें पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ यजà¥à¤ž करवाने का संकलà¥à¤ª लिया। विदा होते समय शाहपà¥à¤°à¤¾à¤§à¤¿à¤¶ ने 250 वेदà¤à¤¾à¤µà¥à¤¯ सहयोग हेतॠतथा वेद-धरà¥à¤® पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° हेतॠà¤à¤• पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤°à¤• को 30 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ मासिक पर रखने का वचन दिया। फालà¥à¤—à¥à¤¨ कृषà¥à¤£à¤¾ 14.1936 अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ 09 मारà¥à¤š 1883 से जà¥à¤¯à¥‡à¤·à¥à¤ कृषà¥à¤£à¤¾ 14.1936 अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ 26 मई सनॠ1883 तक शाहपà¥à¤°à¤¾ में रहे।
वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨-सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿-à¤à¤• आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ है और à¤à¥‚मि à¤à¥€ है। आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ का कारà¥à¤¯ शिथिल है। कà¥à¤› वयोवृदà¥à¤§ आरà¥à¤¯à¤œà¤¨ हैं, जो आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ से जà¥à¥œà¥‡ है। यà¥à¤µà¤¾à¤µà¤°à¥à¤— का अà¤à¤¾à¤µ है। 1999 गà¥à¤°à¥€à¤·à¥à¤®à¤•ाल में राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥€à¤¯ आरà¥à¤¯à¤µà¥€à¤° दल का शिविर à¤à¥€ शाहपà¥à¤°à¤¾ में आयोजित हà¥à¤† था।