
Jodhpur
महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ नà¥à¤¯à¤¾à¤¸ जोधपà¥à¤° à¤à¤µà¤¨ का महतà¥à¤µ
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लगà¤à¤—-साà¥à¥‡ चार मास महाराज का निवास इसी à¤à¤µà¤¨ में रहा तथा 29 सितमà¥à¤¬à¤° रातà¥à¤°à¤¿ को विष इसी à¤à¤µà¤¨ में दिया गया था, जो उनकी जीवन लीला समापà¥à¤¤à¤¿ का कारण बना।
जोधपà¥à¤° नरेश के निमनà¥à¤¤à¥à¤°à¤£ पर सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ सरसà¥à¤µà¤¤à¥€ जी दिनांक 31 मई 1883 को पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒà¤•ाल जोधपà¥à¤° पधारे। उनके निवास का पà¥à¤°à¤¬à¤¨à¥à¤§ à¤à¥ˆà¤¯à¤¾ फैजà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤–ाठकी कोठी में किया गया था।
इस à¤à¤µà¤¨ में सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी महाराज साà¥à¥‡ चार मास तक रहे थे तथा इसी à¤à¤µà¤¨ के साथ जो मैदान (बाग) था वहां पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¦à¤¿à¤¨ पà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨, शंका समाधान आदि à¤à¥€ करते रहते थे।
दिनांक 29-09-83 की रातà¥à¤°à¤¿ में सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी को à¤à¤• षडà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤à¥à¤° के तहत धोखे से विष दे दिया गया। इस विष के कारण ही उनकी जीवन समापà¥à¤¤ हà¥à¤†à¥¤ यह à¤à¤µà¤¨ 1972 को जब राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ के मà¥à¤–à¥à¤¯ मनà¥à¤¤à¥à¤° फैजà¥à¤²à¥à¤²à¤¾à¤–ाठके पौतà¥à¤° बखà¥à¤¤à¤²à¥à¤²à¤¾à¤–ाठथे, तब जोधपà¥à¤° के आरà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ से आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ को सà¥à¤ªà¤°à¥à¤¦ किया गया।
यह à¤à¤µà¤¨ जोधपà¥à¤° नगर के ठीक मधà¥à¤¯ (बीच) में है तथा रेलवे सà¥à¤Ÿà¥‡à¤¶à¤¨ से लगà¤à¤— à¤à¤• किलोमीटर, बस सà¥à¤Ÿà¥‡à¤£à¥à¤¡ से दो किलो मीटर है। मोहनपà¥à¤°-ओलà¥à¤¡ कैमà¥à¤ªà¤¸ के पास रातानाड़ा जोधपà¥à¤°