
mumbai
जून-सितमà¥à¤¬à¤°-(आषाॠकृषà¥à¤£ अशà¥à¤µà¤¿à¤¨) सनà¥-1875 में 54 वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ हà¥à¤¯à¥‡ थे, 15 वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ को लिपिबदà¥à¤§ किया जो उपदेशमंजरी नाम पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में है।
===================================
पूना में सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी को महादेव गोविनà¥à¤¦ रानडे और महादेव मोरेशà¥à¤µà¤° कà¥à¤£à¥à¤Ÿà¥‡ आदि सà¥à¤§à¤¾à¤°à¤• दल के नेताओं ने बà¥à¤²à¤¾à¤¯à¤¾ था। रानडे महोदय उन दिनों पूना में जज थे, बाद में बमà¥à¤¬à¤ˆ हाईकोरà¥à¤Ÿ के जज हो गये। वे सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी की शिकà¥à¤·à¤¾ व उपदेश को गà¥à¤°à¤¹à¤£ करते थे और सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी को गà¥à¤°à¥ मानते थे। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी पूना में विटà¥à¤ ल पेंठमें पंच हौस के पास शंकर सेठके मकान में ठहरे थे।
पूना पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ पर विजà¥à¤žà¤¾à¤ªà¤¨-पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤• और अपà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤• गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ की सूची
===========================================
यदि कोई शासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ करना तो धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रहे और वादविवाद में समय नषà¥à¤Ÿ न करे। वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾-पूना में सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के 54 वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ हà¥à¤ थे। वे सब लिपिबदà¥à¤§ किये गये थे। उनमें से 15 वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ का जो नगर में हà¥à¤ जो आरà¥à¤¯à¤à¤¾à¤·à¤¾ में मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¤ हà¥à¤à¥¤ जो उपदेशमंजरी (पूनापà¥à¤°à¤µà¤šà¤¨) के नाम से पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ है। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी à¤à¤• दिन वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨, दूसरे दिन शंकासमाधान करते थे, हजारों की संखà¥à¤¯à¤¾ में लोग सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ आते थे और महाराज की वागà¥à¤¯à¤¿à¤¤à¤¾ और विदà¥à¤¯à¤¾ पर मà¥à¤—à¥à¤§ हो जाते थे।
कà¥à¤› लोगों में à¤à¥à¤°à¤® हो गया कि सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ संसà¥à¤•ृत अचà¥à¤›à¥€ नहीं जानते, इसलिठहिनà¥à¤¦à¥€ बोलते है, फिर सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने संसà¥à¤•ृत में बोला तो सब मनà¥à¤¤à¥à¤°à¤®à¥à¤—à¥à¤§ हो गये। पà¥à¤¨à¤ƒ निवेदन पर हिनà¥à¤¦à¥€ में ही वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ करते रहे।
पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤à¥‹à¤‚ ने नाक रखने हेतॠशासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥ की चरà¥à¤šà¤¾-आपस में की, लेकिन वे वेदजà¥à¤ž नहीं थे, इसलिठसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के सामने नहीं आये।
इनà¥à¤¦à¥-पà¥à¤°à¤•ाश के समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤• ने 16-8-1875 के अंक में लिखा-पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ वेदजà¥à¤ž नहीं थे, इसलिठदयाननà¥à¤¦ के सामने नहीं आये। ऋषि दयाननà¥à¤¦ की खà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¤¿ तथा वेद का सबको अधिकार, मूरà¥à¤¤à¤¿à¤ªà¥‚जा का खणà¥à¤¡à¤¨ से आघात होकर पौराणिकदल उपदà¥à¤°à¤µ करने पर उतारू हो गया।
सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ के विरोध में पौराणिकदल के नेता नारायण à¤à¥€à¤•ाजी जोग लेकर ने रामशासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ और वसà¥à¤¦à¥‡à¤µà¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ के वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ करायें। 22 अगसà¥à¤¤ की रातà¥à¤°à¤¿ में किसी ने कसà¥à¤¬à¥‡ के गणपति और अहलà¥à¤¯à¤¾ की मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ नाली में फेक दी। इससे पूना में घोर आनà¥à¤¦à¥‹à¤²à¤¨ मच गया।
सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी पर और उनके अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पर मिथà¥à¤¯à¤¾ आरोप लगाये कि इनके कारण ही ये हà¥à¤†à¥¤ अनेक मिथà¥à¤¯à¤¾-à¤à¥à¤°à¤® यà¥à¤•à¥à¤¤ बातें सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के विरà¥à¤¦à¥à¤§ जनता में पाखणà¥à¤¡à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने फैलाई। विरोधी वरà¥à¤— के लोगों ने अविदà¥à¤¯à¤¾ और यà¥à¤•à¥à¤¤à¥€ से कारà¥à¤¯ सिदà¥à¤§ न होने पर अनेक अनà¥à¤¯ तरीकों से सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी का विरोध शà¥à¤°à¥‚ किया।
परनà¥à¤¤à¥ अनà¥à¤¤ में सब जगह सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दयाननà¥à¤¦ जी की ही जय जयकार हà¥à¤ˆà¥¤
05 सितमà¥à¤¬à¤° 1875 (रविवार) को सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी का समà¥à¤®à¤¾à¤¨ और पूना नगर में समारोह यातà¥à¤°à¤¾ निकालने का निशà¥à¤šà¤¯ हà¥à¤†à¥¤ सà¤à¤¾ के लिठनिमनà¥à¤¤à¥à¤°à¤£ पतà¥à¤° à¤à¥‡à¤œà¥‡ गये, सà¤à¤¾à¤—ृह को फूल-मालाओं से सजाया गया। सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी हेतॠहाथी मंगवाया गया, लेकिन सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी ने हाथी पर बैठने से इनà¥à¤•ार कर दिया। समारोह यातà¥à¤°à¤¾ में सबसे आगे हाथी, कोतल घोड़े, फिर पà¥à¤²à¤¿à¤¸ के सिपाही, बाजे वाले, फिर सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी महाराज और उनके à¤à¤•à¥à¤¤à¤œà¤¨, अनà¥à¤¤ में अनà¥à¤¯à¤œà¤¨à¥¤ यातà¥à¤°à¤¾ आरमà¥à¤ के समय 300-400 मनà¥à¤·à¥à¤¯ थे, लेकिन नगर तक पहà¥à¤à¤šà¤¨à¥‡ पर यह संखà¥à¤¯à¤¾ 3-4 हजार हो गयी।
विपकà¥à¤·à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की लीला, गरà¥à¤¦à¤-शोà¤à¤¾à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤°à¤¾
==========================
सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के पाणà¥à¤¡à¤¿à¤¤à¥à¤¯, वेदजà¥à¤žà¤¾à¤¨, नारी-शूदों को बराबरी का अधिकार देना आदि सामाजिक सà¥à¤§à¤¾à¤° से पौराणिक जगतॠमें हा-हाकार मच गया। वे इस शोà¤à¤¾ यातà¥à¤°à¤¾ के विरोध में गधे पर किसी वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को बैठकर सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी का अपमान करने हेतॠअसफल पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया, लेकिन इससे सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ के विचारों और खà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¤¿ पर कोई पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ नहीं पड़ा।
दोनों यातà¥à¤°à¤¾à¤“ं की मà¥à¤ à¤à¥‡à¥œ
=================
सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी की समारोह यातà¥à¤°à¤¾ सायंकाल 5:00 बजे कैमà¥à¤ª से चली, à¤à¤µà¤¾à¤¨à¥€ पेठ, गणेश पेठ, आदितà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤°à¤ªà¥‡à¤ , बà¥à¤§à¤µà¤¾à¤°à¤ªà¥‡à¤ में से होती हà¥à¤ˆ à¤à¤¿à¥œà¥‡ के बाड़े की ओर जहाठसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी का वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ होना था, वहाठउस समय तक 7:30 बज गये और मशालें जला दी गयी। दूसरी ओर से गरà¥à¤¦à¤à¤¦à¤² à¤à¥€ आ पहà¥à¤‚चा और उस दल ने अमरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ होकर अà¤à¥à¤°à¤¦à¤¤à¤¾ यà¥à¤•à¥à¤¤ वचन बोलना शà¥à¤°à¥‚ किया। उस दिन बीच-बीच में वरà¥à¤·à¤¾ à¤à¥€ हो रही थी, लेकिन लोगों में बहà¥à¤¤ उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ था, इसलिठकिसी ने à¤à¥€ वरà¥à¤·à¤¾ की परवाह नहीं की।