
Rajasthan
आबू परà¥à¤µà¤¤ राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ महतà¥à¤µ :
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सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी महाराज यहां पर à¤à¤• बार योग विदà¥à¤¯à¤¾ सीखने हेतॠठहरे थे और दूसरी बार जोधपà¥à¤° में विष देने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ लाठहेतà¥à¥¤
सनॠ1852 से 1854 तक समय अवधी में सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी योगियों की खोज में आबू परà¥à¤µà¤¤ पर योग विदà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हेतॠआये थे और आबू में à¤à¤µà¤¾à¤¨à¥€ गिरि नामक à¤à¤• शà¥à¤°à¥ƒà¤‚ग पर à¤à¤• महातà¥à¤®à¤¾ से साकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥ किया तथा उनसे योगकà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ के विषय में कà¥à¤›-कà¥à¤› शिकà¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ की।
जोधपà¥à¤° में 29 सितमà¥à¤¬à¤° 1883 को विष देने के बाद सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी की बिगड़ती शारीरिक सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ को देखते हà¥à¤ डाॅ. अलमीरदान खाठसà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी की दशा देखकर डर गया और सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के शरीर में अधिक गरà¥à¤®à¥€ हो गयी है, इसलिठइनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ आबू à¤à¥‡à¤œà¤¨à¤¾ चाहिà¤à¥¤ वहां ठणà¥à¤¡à¥‡ जलवायॠसे सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ लाठहोगा।
16 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर को जोधपà¥à¤° नरेश सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी को विदा करने आये। 2500 रà¥à¤ªà¤¯à¥‡ और दो दो शाले (शोल) à¤à¥‡à¤‚ट किये। पाली (मारवाड़) में सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी को दो दिन ठहरना हà¥à¤† सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ वैसा ही था। कोई सà¥à¤§à¤¾à¤° नहीं हà¥à¤†à¥¤ यातà¥à¤°à¤¾ की सारी उचित तैयारी à¤à¥€ करवा दी। 16-16 कहार à¤à¥€ बारी-बारी पालकी उठने हेतॠà¤à¥‡à¤œ दिये। 21 अकà¥à¤Ÿà¥‚बर को पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ आबू की चà¥à¤¾à¤ˆ-आबू में सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जी के ठहरने का पà¥à¤°à¤¬à¤¨à¥à¤§ जोधपà¥à¤° के बंगले में किया था।