ईशà¥à¤µà¤° का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ व चिनà¥à¤¤à¤¨ करते हà¥à¤ जीवातà¥à¤®à¤¾ परमातà¥à¤®à¤¾ में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हो जाता है: डा. सोमदेव शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€â€™
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Manmohan Kumar AryaDate
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07-Jun-2017Download PDF
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गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² पौंधा देहरादून के 18वें वारà¥à¤·à¤¿à¤•à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤µ के उपलकà¥à¤·à¥à¤¯ में दिलà¥à¤²à¥€ आरà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ सà¤à¤¾ और गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² ने मिलकर यहां à¤à¤• चार दिवसीय ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¾à¤¦à¤¿à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤à¥‚मिका सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ शिविर का आयोजन किया गया है। शिविर के तीसरे दिन बà¥à¤§à¤µà¤¾à¤° 31 मई, 2017 को पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤ƒ 10 बजे से आरमà¥à¤ सतà¥à¤° में वैदिक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ डा. सोमदेव शासà¥à¤¼à¤¤à¥à¤°à¥€ जी ने ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¾à¤¦à¤¿à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤à¥‚मिका के उपासना विषय को आगे बà¥à¤¾à¤¤à¥‡ हà¥à¤ कहा कि आहर विषयक योगों में à¤à¤• मिथà¥à¤¯à¤¾ योग होता जो सरà¥à¤¦à¥€ व जà¥à¤•à¤¾à¤® आदि में कोलà¥à¤¡ डà¥à¤°à¤¿à¤‚क अथवा आईसकà¥à¤°à¥€à¤® जैसे पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ का सेवन करने को कहते हैं। इनके सेवन से सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¤¯ बिगड़ता है। समà¥à¤¯à¤•à¥ योग का तातà¥à¤ªà¤°à¥à¤¯ शरीर की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ के अनà¥à¤°à¥‚प हितकर वसà¥à¤¤à¥à¤“ं का सेवन करना होता है। आचारà¥à¤¯ जी ने कहा कि समाधि योग की आठसीà¥à¤¿à¤¯à¤¾ यम, नियम, आसन, पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¾à¤¯à¤¾à¤®, पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤¾à¤¹à¤¾à¤°, धारणा, धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ व समाधि हैं। सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ का उलà¥à¤²à¥‡à¤– कर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ में 19 मनà¥à¤¤à¥à¤° हैं। सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को कम से कम आधा घणà¥à¤Ÿà¤¾ ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ अवशà¥à¤¯ करनी चाहिये। सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ में मन को पà¥à¤°à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ से हटाकर परमातà¥à¤®à¤¾ में लगाना होता है। आचारà¥à¤¯ जी ने कहा कि बाहà¥à¤¯ विषयों से मन को हटाने से जीवातà¥à¤®à¤¾ अपने सà¥à¤µà¤°à¥‚प में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हो जाता है। इसके बाद ईशà¥à¤µà¤° के धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ व चिनà¥à¤¤à¤¨ को जारी रखते हà¥à¤ जीवातà¥à¤®à¤¾ परमातà¥à¤®à¤¾ में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ होता है।
उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने बताया कि जीवातà¥à¤®à¤¾ और परमातà¥à¤®à¤¾ देखने की नहीं अपितॠअनà¥à¤à¤µ करने की वसà¥à¤¤à¥à¤à¤‚ हैं। समाधि के अतिरिकà¥à¤¤ जीवातà¥à¤®à¤¾ की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ वृतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤°à¥‚प होती है। यह वृतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ कà¥à¤²à¤¿à¤·à¥à¤Ÿ व अकà¥à¤²à¤¿à¤·à¥à¤Ÿ दो पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° होती हैं। कà¥à¤²à¤¿à¤·à¥à¤Ÿ वृतà¥à¤¤à¤¿ कà¥à¤²à¥‡à¤¶ पहà¥à¤‚चाने वाली होती हैं तथा अकà¥à¤²à¤¿à¤·à¥à¤Ÿ वृतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ वह होती हैं जिनसे जीवातà¥à¤®à¤¾ को कोई दà¥à¤ƒà¤– नहीं पहà¥à¤‚चता। मन के अनà¥à¤•à¥‚ल चीजों से सà¥à¤– व पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥‚ल चीजों से दà¥à¤ƒà¤– मिलता है। यह कà¥à¤²à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ à¤à¤µà¤‚ अकà¥à¤²à¤¿à¤·à¥à¤Ÿ वृतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ पांच पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की होती हैं जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£, विपरà¥à¤¯à¤¯, विकलà¥à¤ª, निदà¥à¤°à¤¾ व सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ के नाम से जानते हैं। आचारà¥à¤¯ जी ने इन पांच वृतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के सà¥à¤µà¤°à¥‚प पर à¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ डाला। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने विपरà¥à¤¯à¤¯ वृतà¥à¤¤à¤¿ का उलà¥à¤²à¥‡à¤– कर कहा विपरीत वा मिथà¥à¤¯à¤¾ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को विपरà¥à¤¯à¤¯ वृतà¥à¤¤à¤¿ कहते हैं। इसका उदाहरण देते हà¥à¤ आपने कहा कि अंधेरे में रसà¥à¤¸à¥€ देखकर सरà¥à¤ª की à¤à¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿ होना विपरà¥à¤¯à¤¯ वृतà¥à¤¤à¤¿ के कारण होता है। विकलà¥à¤ª वृतà¥à¤¤à¤¿ का उदाहरण देते हà¥à¤ आपने कहा कि आकाश पà¥à¤·à¥à¤ª व सींग वाला मनà¥à¤·à¥à¤¯ इसके उदाहरण होते हैं। यह नाम शबà¥à¤¦ मातà¥à¤° हैं परनà¥à¤¤à¥ इन नामों की संजà¥à¤žà¤¾ वाली वसà¥à¤¤à¥à¤“ं का असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ नहीं होता। निदà¥à¤°à¤¾ à¤à¤µà¤‚ सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ वृतà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पर à¤à¥€ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ वकà¥à¤¤à¤¾ ने पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ डाला। आचारà¥à¤¯ जी ने कहा कि समाधि की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ निदà¥à¤°à¤¾ के साथ की जाती है। समाधि में मनà¥à¤·à¥à¤¯ में सतो गà¥à¤£ का पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ होता है। समाधिवसà¥à¤¥à¤¾ में वह जीवातà¥à¤®à¤¾ व परमातà¥à¤®à¤¾ दोनों का अनà¥à¤à¤µ करता है व उसे ईशà¥à¤µà¤° की पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· अनà¥à¤à¥‚ति होती है। निदà¥à¤°à¤¾ में उसे किसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤¤à¥€ नहीं होती।
डा. सोमदेव शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ जी ने कहा कि जब समाधि का अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ हो जाता है तो उपासक उसमें घंटो बैठा रहता है, उसे समय का पता नहीं चलता है। आचारà¥à¤¯ जी ने कहा कि ऋषि दयाननà¥à¤¦ 18 घंटे व उससे अधिक à¤à¥€ समाधि में बैठा करते थे, à¤à¤¸à¤¾ उलà¥à¤²à¥‡à¤– उनके जीवन चरितà¥à¤°à¥‹à¤‚ में आता है। सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ वृतà¥à¤¤à¤¿ का उलà¥à¤²à¥‡à¤– कर आचारà¥à¤¯ जी ने कहा कि करà¥à¤®à¥‹ के संसà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ का मन पर पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ होना सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ कहलाता है। आचारà¥à¤¯ जी ने कहा कि पांचों इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के अपने अपने विषयों से सीघे समà¥à¤ªà¤°à¥à¤• से जो à¤à¥à¤°à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤¿à¤°à¤¹à¤¿à¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होता है वह पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· कहलाता है। अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ की चरà¥à¤šà¤¾ कर आचारà¥à¤¯ जी ने कहा कि अनेक वसà¥à¤¤à¥à¤“ं को अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ के आधार पर जाना जाता है। अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ से जिन पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ को जाना जाता है उनका पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· अनà¥à¤à¤µ पहले किया हà¥à¤† होता है। इसका उदाहरण देते हà¥à¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि धà¥à¤à¤‚ को देखकर उस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर अगà¥à¤¨à¤¿ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ होता है। यह अगà¥à¤¨à¤¿ व धà¥à¤à¤‚ को हमने पहले अनेकों बार देखा होता है अतः दूर से धà¥à¤à¤‚ मातà¥à¤° को देखकर हमें वहां निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ रूप से अगà¥à¤¨à¤¿ होने का अनà¥à¤®à¤¾à¤¨ होता है। आचारà¥à¤¯ जी ने शबà¥à¤¦ पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ को आगम पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ बताया। जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से हम माता-पिता दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बताई बातों पर पूरà¥à¤£ विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ करते हैं उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° वेद की बातें हैं जिन पर पूरà¥à¤£ विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ रखना शबà¥à¤¦ पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ कहलाता है। आचारà¥à¤¯ जी ने कहा कि ऋषि परमातà¥à¤®à¤¾ की सतà¥à¤¤à¤¾ का अनà¥à¤à¤µ करने वाले समाधि सिदà¥à¤§ व ईशà¥à¤µà¤° के दà¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾ को कहते हैं। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि शबà¥à¤¦ पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£ à¤à¥€ वेदों के अनà¥à¤•à¥‚ल बातों का ही होता है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि ऋषि के पीछे शबà¥à¤¦ à¤à¤¾à¤—ते है और मनà¥à¤·à¥à¤¯ शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ के पीछे à¤à¤¾à¤—ता है। आचारà¥à¤¯ जी ने कहा कि किसी विषय की इचà¥à¤›à¤¾ होने व उसकी उपलबà¥à¤§à¤¿ न होने पर उसके हानिकारक पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ का चिनà¥à¤¤à¤¨ करने से उस इचà¥à¤›à¤¾ का दमन व उससे विरकà¥à¤¤à¤¿ होती है। इसके कà¥à¤› उदाहरण à¤à¥€ आचारà¥à¤¯ जी ने दिये। आचारà¥à¤¯ जी ने इस बीच à¤à¤•à¥à¤¤ फूल सिंह की कथा à¤à¥€ सà¥à¤¨à¤¾à¤ˆ और कहा कि आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œà¥€ बनने पर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने न केवल रिशà¥à¤µà¤¤ लेना ही छोड़ा अपितॠअतीत में जिन वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से रिशà¥à¤µà¤¤ ली थी उनके घर जा जाकर उनका धन लौटाया। इसके लिठउसने अपनी समà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ à¤à¥€ बेच डाली थी। रिशà¥à¤µà¤¤ के धन पर बà¥à¤¯à¤¾à¤œ का विचार कर उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने विदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ खोले जो आज महाविदà¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ और विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ का रूप ले चà¥à¤•à¥‡ हैं। आचारà¥à¤¯ जी ने बताया कि इस वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ ने अतीत में जिनको थपà¥à¤ªà¥œ मारा था उनके पास जाकर उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ खà¥à¤¦ को जोर जोर से थपà¥à¤ªà¥œ मारने के लिठबाधà¥à¤¯ किया जिससे उनके उस अशà¥à¤ करà¥à¤® का पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤¶à¥à¤šà¤¿à¤¤ हो जाये। इन कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को करके पटवारी फूल सिह à¤à¤•à¥à¤¤ फूल सिंह के नाम से विखà¥à¤¯à¤¾à¤¤ हà¥à¤à¥¤
आचारà¥à¤¯ जी ने कहा कि दीरà¥à¤˜à¤•à¤¾à¤² तक निरनà¥à¤¤à¤° सनà¥à¤§à¥à¤¯à¥‹à¤ªà¤¾à¤¸à¤¨à¤¾ आदि का अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ करने से दृण à¤à¥‚मि होती है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा इन कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को करते हà¥à¤ इनके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ का गहरा à¤à¤¾à¤µ à¤à¥€ होना चाहिये। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने आगे कहा कि सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ के लिठनिशà¥à¤šà¤¿à¤¤ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨, निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ समय सहित नियमितता और शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ होनी चाहिये तà¤à¥€ इन कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में सफलता मिलती है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ के बिना कोई कारà¥à¤¯ नहीं होता। उपासना के लिठशà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾ की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ होती है। अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ के बिना उपासना में सफलता नहीं मिलती। आचारà¥à¤¯ जी ने कहा कि उपासना करने वाला वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ दूसरों की सेवा करता है। इसके बदले में वह उनसे किसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की पà¥à¤°à¤¶à¤‚सा नहीं चाहता। वह सोचता है कि जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° वह परमातà¥à¤®à¤¾ के बनाये पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ का उपयोग करता है उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° दूसरों की सेवा करना उसका à¤à¥€ करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ है। ईशà¥à¤µà¤° पà¥à¤°à¤£à¤¿à¤§à¤¾à¤¨ की चरà¥à¤šà¤¾ कर आचारà¥à¤¯ जी ने कहा कि à¤à¤—वान को हर समय याद रखना व उसकी कृपाओं को सà¥à¤®à¤°à¤£ करना ईशà¥à¤µà¤° पà¥à¤°à¤£à¤¿à¤§à¤¾à¤¨ है। आपने सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी और पं. लेखराम जी का इस विषय का à¤à¤• संसà¥à¤®à¤°à¤£ सà¥à¤¨à¤¾à¤¤à¥‡ हà¥à¤ बताया कि दोनों महापà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ à¤à¤• यातà¥à¤°à¤¾ करते हà¥à¤ पणà¥à¤¡à¤¿à¤¤ लेखराम जी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बिना शरीर शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ के सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ करने पर सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी ने आपतà¥à¤¤à¤¿ की तो पंडित लेखराम जी ने कहा था कि शारीरिक शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿ करना शरीर का धरà¥à¤® है जबकि सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ करना आतà¥à¤®à¤¾ का धरà¥à¤® है। आचारà¥à¤¯ जी ने कहा कि लेखराम जी ने निषà¥à¤•à¤°à¥à¤· रूप में कहा था कि शरीर का धरà¥à¤® आतà¥à¤®à¤¾ के धरà¥à¤® पालन करने में बाधक नहीं बनना चाहिये। सनà¥à¤§à¥à¤¯à¤¾ व ईशà¥à¤µà¤° पà¥à¤°à¤£à¤¿à¤§à¤¾à¤¨ को आगे बà¥à¤¾à¤¤à¥‡ हà¥à¤ आचारà¥à¤¯ जी ने कहा कि जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ ईशà¥à¤µà¤° को समरà¥à¤ªà¤£ करते हैं ईशà¥à¤µà¤° उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ समà¥à¤à¤¾à¤²à¤¤à¤¾ है। à¤à¤¸à¤¾ करके उपासक को समाधि का लाठहोता है।
5 कà¥à¤²à¥‡à¤¶à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤—त अविदà¥à¤¯à¤¾ कà¥à¤²à¥‡à¤¶ की चरà¥à¤šà¤¾ करते हà¥à¤ आचारà¥à¤¯ जी ने कहा कि अनितà¥à¤¯ को नितà¥à¤¯ तथा अपने को अमर मानना अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ अपनी मृतà¥à¤¯à¥ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ विचार न करना व उनकी उपेकà¥à¤·à¤¾ करना अविदà¥à¤¯à¤¾ है। अपवितà¥à¤° को पवितà¥à¤° और पवितà¥à¤° को अपवितà¥à¤° मानना à¤à¥€ अविदà¥à¤¯à¤¾ है। आचारà¥à¤¯ जी ने अà¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤µà¥‡à¤¶ कà¥à¤²à¥‡à¤¶ की चरà¥à¤šà¤¾ की और उस पर विसà¥à¤¤à¤¾à¤° से पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ डाला। आज के सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ का समापन कराते हà¥à¤ आपने कहा कि परमातà¥à¤®à¤¾ पà¥à¤°à¥à¤· विशेष है। वह पà¥à¤°à¥à¤· विशेष ही ईशà¥à¤µà¤° है। इसके बाद दिलà¥à¤²à¥€ आरà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ सà¤à¤¾ के उपमंतà¥à¤°à¥€ शà¥à¤°à¥€ सà¥à¤–वीर सिंह आरà¥à¤¯ जी ने आचारà¥à¤¯ जी का धनà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ किया और सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ शिविर में à¤à¤¾à¤— लेने वालों को सूचनायें देने के साथ सà¥à¤µà¤šà¥à¤›à¤¤à¤¾ व दूसरों के कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में सहयोग करने का à¤à¥€ अनà¥à¤°à¥‹à¤§ किया। आयोजन में आरà¥à¤¯ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ डा. वेदवà¥à¤°à¤¤ आलोक à¤à¥€ पधारे हैं। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने à¤à¥€ योग विषयक अपने विचारों को पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किया। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि हमें ईशà¥à¤µà¤° के सà¥à¤µà¤°à¥‚प में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ होने के लिठदà¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾ बनना है। वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• दà¥à¤°à¤·à¥à¤Ÿà¤¾ परमातà¥à¤®à¤¾ है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने आगे कहा कि उपासना में मन निदà¥à¤°à¥à¤µà¤¨à¥à¤¦ होना चाहिये। डा. वेदवà¥à¤°à¤¤ जी ने कहा उपासना में हम अपने चितà¥à¤¤ के कà¥à¤¸à¤‚सà¥à¤•à¤¾à¤°à¥‹à¤‚ को साफ करते हैं।
ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦à¤¾à¤¦à¤¿à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¤à¥‚मिका के सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ में आचारà¥à¤¯ डा. सोमदेव शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€, मà¥à¤®à¥à¤¬à¤ˆ पहले पूरà¥à¤µ सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ किये हà¥à¤ उपासना विषय के वेदमनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ व योग सूतà¥à¤°à¥‹à¤‚ का पाठदोहराते हैं। फिर बाद के मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ व सूतà¥à¤°à¥‹à¤‚ को पà¥à¤•à¤° उनके ऋषि कृत संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ के आधार पर उनके अरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ को बताकर उनकी वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ करते हैं। इसके बाद शà¥à¤°à¥‹à¤¤à¤¾à¤“ं को उन मनà¥à¤¤à¥à¤° व सूतà¥à¤°à¥‹à¤‚ के ऋषि के हिनà¥à¤¦à¥€ अरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ को पà¥à¤¨à¥‡ को कहते हैं और उसमें आये विषयों पर टिपà¥à¤ªà¤£à¥€ व वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨ देते हैं। इससे पूरा विषय शà¥à¤°à¥‹à¤¤à¤¾à¤“ं को हृदयंगम हो जाता है। दिलà¥à¤²à¥€ आरà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿ सà¤à¤¾ और गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² पौंधा के संयà¥à¤•à¥à¤¤ ततà¥à¤µà¤¾à¤µà¤§à¤¾à¤¨ में यह आयोजन समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हो रहा है। दिलà¥à¤²à¥€ सà¤à¤¾ के उपमंतà¥à¤°à¥€ शà¥à¤°à¥€ सà¥à¤–वीर सिंह आरà¥à¤¯ जी यहां पहले से पधारे हà¥à¤ हैं और हर कारà¥à¤¯ में उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ रहकर शिविरारà¥à¤¥à¥€ की तरह सà¥à¤µà¤¯à¤‚ à¤à¥€ लाठउठाते हैं। कल सायं तक इस शिविर में à¤à¤¾à¤— लेने वाले शिविरारà¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की संखà¥à¤¯à¤¾ लगà¤à¤— 150 तक पहà¥à¤‚च गई थी। गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² में सà¤à¥€ शिविरारà¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के निवास व à¤à¥‹à¤œà¤¨ की अचà¥à¤›à¥€ वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ है। सà¤à¥€ शिविरारà¥à¤¥à¥€ इस सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ शिविर को उपयोगी अनà¥à¤à¤µ कर रहें हैं और उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ इससे ऋषि के सà¤à¥€ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करने की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ मिल रही है। दिलà¥à¤²à¥€ सà¤à¤¾ और गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² पौंधा का यह पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ पूरà¥à¤£à¤¤à¤ƒ सफल है, à¤à¤¸à¤¾ सà¤à¥€ का अनà¥à¤à¤µ है। शिविर की सफलता के पीछे à¤à¤• पà¥à¤°à¤®à¥à¤– कारण गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² के आचारà¥à¤¯ डा. धनंजय जी की विगत कà¥à¤› महीनों से कठोर तप व साधना है जिसके हम पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤·à¤¦à¤°à¥à¤¶à¥€ हैं। विगत 17 वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ में गà¥à¤°à¥à¤•à¥à¤² ने à¤à¤• पौधे से वट वृकà¥à¤· का सा रूप ले लिया है, इसमें à¤à¥€ मà¥à¤–à¥à¤¯ à¤à¥‚मिका में हमें आचारà¥à¤¯ धनंजय जी का तप व पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¥à¤¥ ही दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤—ोचर होता है। ईशà¥à¤µà¤° आचारà¥à¤¯ धनंजय जी को अचà¥à¤›à¤¾ सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯, सà¥à¤– व दीघारà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करें, à¤à¤¸à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ हम ईशà¥à¤µà¤° करते हैं। ओ३मॠशमà¥à¥¤
---मनमोहन कà¥à¤®à¤¾à¤° आरà¥à¤¯
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